सत्या राजपूत, रायपुर। राजधानी रायपुर का ऐतिहासिक डब्लूआरएस मैदान इस बार भी विजयादशमी के पर्व पर भव्य दशहरा उत्सव का गवाह बना। परंपरा के अनुसार पिछले 55 वर्षों से यहां रावण दहन का आयोजन होता आ रहा है। इस वर्ष मैदान में 101 फीट ऊंचे रावण का दहन किया गया। इसके साथ ही 81-81 फीट ऊंचे कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले भी अग्नि के हवाले किए गए।

कार्यक्रम में राज्यपाल और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। रावण दहन के साथ ही आकाश में गूंजती शानदार आतिशबाज़ी ने उत्सव को और आकर्षक बना दिया।

CM साय बोले – इस पावन अवसर पर बुराइयों को त्याग समाज और राष्ट्र के कल्याण की ओर आगे बढ़ने का ले प्रण

मुख्यमंत्री साय ने इस दौरान अपने सम्बोधन में कहा कि “डब्लूआरएस मैदान में दशहरा उत्सव का हिस्सा बनना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। यह उत्सव हमें हर साल यह संदेश देता है कि बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, अंततः जीत अच्छाई और सत्य की ही होती है। सत्य परेशान हो सकता है, परास्त नहीं।

उन्होंने कहा कि हर वर्ष हम रावण के पुतले को जलाते हैं, लेकिन असली रावण हमारे भीतर छिपा होता है- लोभ, क्रोध, मोह और अहंकार के रूप में। हमें इस पावन अवसर पर प्रण लेना चाहिए कि इन बुराइयों को त्यागकर समाज और राष्ट्र के कल्याण की ओर आगे बढ़ेंगे।”

राज्यपाल का संदेश – रावण की हार का कारण उसका अहंकार था

राज्यपाल ने दशहरा उत्सव पर सभी नागरिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा, “मैं 35 साल बाद आज दशहरा देख रहा हूं। रावण की हार का कारण उसका अहंकार था। यह हमें सीख देता है कि क्रोध, मोह और लोभ जैसे दोषों को हमें जीवन से दूर करना होगा। जब हम अच्छाई के साथ खड़े होंगे, नारी का सम्मान करेंगे और अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचेगा, तभी सच्चे अर्थों में रामराज्य की स्थापना होगी।”

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डब्लूआरएस मैदान में दिखी परंपरा और उत्सव की भव्यता

डब्लूआरएस मैदान में दशहरा उत्सव न केवल राजधानी रायपुर बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए आस्था और आकर्षण का केंद्र है। यहां दशहरा पर्व को पिछले 50 साल से भी अधिक समय से लगातार भव्यता और परंपरा के साथ मनाया जा रहा है। इस वर्ष का आयोजन विशालकाय पुतलों, आतिशबाज़ी और हज़ारों दर्शकों की उपस्थिति से ऐतिहासिक बन गया।

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