श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में जनता द्वारा चुनी गई सरकार के सत्ता पर काबिज होते ही केंद्र शासित प्रदेश से पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस कड़ी में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसमें केंद्र सरकार से केंद्र शासित प्रदेश का राज्य का दर्जा बहाल करने का आग्रह किया गया है.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सर्वसम्मति से पारित किए गए इस प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को उसके मूल स्वरूप में बहाल करने की मांग की गई है. अधिकारियों ने पुष्टि की कि एलजी ने इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है.
प्रवक्ता ने कहा, “राज्य का दर्जा बहाल करने के साथ एक प्रक्रिया की शुरुआत होगी, संवैधानिक अधिकारों को पुनः हासिल करने के साथ जम्मू-कश्मीर के लोगों की पहचान की रक्षा होगी.” कैबिनेट ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार के साथ मामले को आगे बढ़ाने के लिए अधिकृत किया है.
इसके अलावा कैबिनेट ने 4 नवंबर को श्रीनगर में विधानसभा सत्र बुलाने का फैसला किया है, इसके साथ एलजी को विधानसभा को बुलाने और संबोधित करने की सलाह दी है. पहले सत्र की शुरुआत के लिए एलजी के विधानसभा को संबोधित करने का मसौदा मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्तुत किया गया. परिषद ने फैसला किया कि मसौदे की आगे समीक्षा की जानी चाहिए और चर्चा की जानी चाहिए.
विपक्षी दलों ने की प्रस्ताव की आलोचना
हालांकि, प्रस्ताव को दायरे को सीमित करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों की आलोचना का सामना करना पड़ा है, जिसमें केवल राज्य का दर्जा बहाल करने और अनुच्छेद 370 की बहाली को संबोधित नहीं किया गया है. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) और अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) जैसी पार्टियों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की आलोचना करते हुए उन्होंने “पूरी तरह से आत्मसमर्पण” और चुनाव पूर्व रुख से बदलाव का आरोप लगाया.