हेमंत शर्मा, इंदौर। कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय यूं तो सरकार के सबसे दबंग नेता के तौर पर जाने जाते हैं। यही वजह है कि सीएम के सामने ही पुलिस को हड़काने लग जाते हैं। लेकिन इनकी दबंगई अब पत्रकारों पर भी दिखाई देने लगी है। शायद यही वजह है कि वह अब खुलकर उन्हें धमकी देते नजर आ रहे हैं। उन्होंने शहर में हुए एक पत्रकार वार्ता में धमकी भरे लहजे में कहा कि जिन्होंने मेरे खिलाफ खबरें छापी थी, वे अब गायब हो गए हैं। मेरा क्या बिगाड़ा?” उनके इस इस बयान ने पत्रकार जगत में हलचल मचा दी है। साथ ही सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या सत्ता की हनक में पत्रकारों को इस तरह की धमकियां दी जा रही हैं?

मंत्री ने पत्रकारों को कहा ‘धंधेबाज पत्रकार’
कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पत्रकार वार्ता के दौरान पत्रकारों पर इंदौर की छवि खराब करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि शहर में कुछ लोग और पत्रकार, इंदौर की छवि खराब करने के लिए अभियान चला रहे हैं। साथ ही उन्हें धंधेबाज पत्रकार भी बताया।

बीमारियों को लेकर जनता की नाराजगी से शुरू हुआ विवाद 

इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई, जब एक आम नागरिक ने सोशल मीडिया पर इंदौर नगर निगम के खिलाफ वीडियो पोस्ट किया था। इसमें उसने शहर में फैलती बीमारियों जैसे डेंगू और चिकनगुनिया को लेकर सवाल उठाए गए थे। साथ ही महापौर पुष्यमित्र भार्गव और प्रशासन की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि शहर की हालत बेहद खराब हो गई है। “हर तीसरे घर में डेंगू या चिकनगुनिया का मरीज है। सड़कों पर गड्ढों से लोग घायल हो रहे हैं। नगर निगम फॉगिंग करने में नाकाम है।”

पत्रकारों का सवाल उठाना साजिश कैसे हुआ मंत्री जी?

जब पत्रकारों ने इस मुद्दे को उठाते हुए मंत्री विजयवर्गीय से सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि यह सब शहर को बदनाम करने की एक सोची-समझी साजिश है। उन्होंने कहा कि कुछ पत्रकार और राजनीतिक लोग इस अभियान में शामिल हैं। जिनका मकसद केवल इंदौर की छवि को खराब करना है। 

पहले सम्मान, फिर अपमान,विजयवर्गीय का दोहरा रवैया

कैलाश विजयवर्गीय का यह बयान उनका दोहरा रवैया दर्शाता है। बता दें कि यह वही कैलाश विजयवर्गीय हैं, जिन्होंने पहले पत्रकारों को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का सम्मान देते हुए उनकी सराहना की थी। लेकिन अब वही उस चौथे स्तंभ को खुलेआम धमकियां देते हुए नजर आ रहे हैं। 

क्या पत्रकारों को दबाव में काम करवाना चाह रहे मंत्री कैलाश?

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के इस आरोप से यह सवाल खड़ा हो रहा है कि जनता के हित में सवाल करन से इंदौर की छवि कैसे खराब होगी? बता दें कि जब इंदौर लगातार सातवीं बार स्वच्छता सर्वेक्षण में नंबर वन बना था, तब इन्हीं पत्रकारों ने प्रशासन की तारीफों के पुल बांधे थे। अब जब शहर में समस्याएं उभरकर सामने आ रही हैं, तो उन्हें दिखाने का भी उनका अधिकार है। मंत्री विजयवर्गीय का पत्रकारों को इस तरह धमकाने और उन्हें बदनाम करने की कोशिश ने न केवल पत्रकारिता जगत में चिंता पैदा की है, बल्कि यह भी सवाल उठने लगे हैं कि क्या अब पत्रकारों को सच्चाई दिखाने के लिए दबाव में काम करना पड़ेगा?

मीडिया के साथ कमलनाथ के दुर्व्यवहार पर कैलाश विजयवर्गीय ने बताया था घमंडी

बता दें कि कैलाश विजयवर्गीय ने पूर्व पीसीसी चीफ कमलनाथ के पत्रकारों से बदसलूकी करने पर उन्हें घमंडी कहा था। उन्होंने कहा “इंदौर में जिस तरीके से प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकार बंधुओं के साथ घमंडी कमलनाथ ने आज जो व्यवहार किया है, वह आपातकाल की मानसिकता का परिचय देती है।  

कैलाश विजयवर्गीय पत्रकारों को धमकाने पर अब खुद सवालों के घेरे में हैं। दूसरी पार्टी के नेताओं को दुर्व्यवहार करने पर घमंडी कहते हैं। लेकिन जब खुद पर बात आई तो पत्रकारों के मुंह पर उन्हें धंधेबाज कहते हुए धमका दिया।

चर्चा का विषय बना कैलाश विजयवर्गीय का बयान

इंदौर में कैबिनेट मंत्री का यह बयान मीडिया और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। पत्रकारों और प्रशासन के बीच इस तरह का टकराव शहर के भविष्य के लिए क्या संकेत देता है, यह देखना बाकी है। हालांकि, जनता की उम्मीदें नगर निगम से है कि वह जल्द से जल्द समस्याओं का समाधान करे और इंदौर की स्वच्छ और सुरक्षित छवि को बरकरार रखे।

नगर निगम के खिलाफ जनता की नाराजगी जारी

बता दें कि इंदौर नगर निगम के खिलाफ सोशल मीडिया पर नाराजगी अभी भी जारी है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि डेंगू और चिकनगुनिया के बढ़ते मामलों पर नगर निगम की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। शहर की सड़कों की खराब स्थिति और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को लेकर लोग प्रशासन से जवाब मांग रहे हैं। 

क्या स्पष्टीकरण देंगे मंत्री?

इस पूरे मामले में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मंत्री विजयवर्गीय अपने इस बयान पर कोई स्पष्टीकरण देंगे या पत्रकारों पर लग रहे आरोपों का विरोध जारी रहेगा। वहीं, इंदौर की जनता नगर निगम से ठोस कार्यवाही की मांग कर रही है। ताकि बीमारियों और बुनियादी सुविधाओं की समस्या का समाधान हो सके।

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