कैमूर। जिले के नवनियुक्त जिलाधिकारी सुनील कुमार ने पदभार ग्रहण करने के दूसरे ही दिन बुधवार को भभुआ सदर अस्पताल का औचक निरीक्षण कर स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत परखने की कोशिश की। यह निरीक्षण सुबह 9:15 बजे शुरू हुआ और इसमें अस्पताल की कई खामियां उजागर हुईं, जिससे व्यवस्था की कमजोर नींव सामने आ गई।

डिस्प्ले बोर्ड गायब

निरीक्षण की शुरुआत अस्पताल परिसर के डिस्प्ले बोर्ड से हुई, जो मौके से गायब मिला। कर्मचारियों ने बताया कि पहले डिस्प्ले बोर्ड लगाया गया था, लेकिन खराब हो जाने के कारण उसे हटा दिया गया। जिलाधिकारी ने इस पर नाराजगी जताते हुए तत्काल प्रभाव से नया डिस्प्ले बोर्ड लगाने का निर्देश दिया।

ड्यूटी रोस्टर में अनियमितता और फर्जी उपस्थिति पर फटकार

इसके बाद डॉक्टरों के ड्यूटी रोस्टर की मांग की गई, लेकिन वह भी तत्काल उपलब्ध नहीं हो सका। काफी देर बाद डीएस कार्यालय से मंगवाकर रोस्टर प्रस्तुत किया गया। यह स्थिति अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है। सबसे गंभीर गड़बड़ी उपस्थिति रजिस्टर की जांच में सामने आई। जिलाधिकारी ने पाया कि कई कर्मचारी मौके से गायब थे, जबकि कुछ कर्मचारियों की उपस्थिति 10 दिन पहले ही रजिस्टर में दर्ज कर दी गई थी। इस पर डीएम ने सख्त नाराजगी जाहिर की और निर्देश दिया कि अनुपस्थित कर्मचारियों का एक दिन का वेतन काटा जाए। साथ ही उपस्थिति प्रक्रिया को पारदर्शी और नियमबद्ध बनाने के लिए सख्त कदम उठाने को कहा।

अनुपस्थित कर्मियों का वेतन काटने और व्यवस्था सुधारने के निर्देश

जिलाधिकारी सुनील कुमार ने निरीक्षण के दौरान सिविल सर्जन को फटकार लगाते हुए कर्मचारियों की कार्यशैली में सुधार लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि “मेरा उद्देश्य कार्रवाई करना नहीं है, बल्कि व्यवस्था को दुरुस्त करना है। अस्पताल की सेवाएं आम जनता के जीवन से जुड़ी होती हैं, इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती।”

डीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि आने वाले समय में औचक निरीक्षण की प्रक्रिया लगातार जारी रहेगी ताकि अस्पताल में सुधार के निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जा सके। इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था में जल्द ही सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे।