रविंद्र कुमार भारद्वाज, रायबरेली. जिले में पुलिस अधीक्षक डॉ. यशवीर सिंह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए थाना महाराजगंज में तैनात उप निरीक्षक उत्कर्ष केसरवानी और आरक्षी शुभम यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. दोनों पुलिसकर्मियों पर एक विवेचना से अभियुक्त का नाम हटाने के बदले रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप लगा है. इस मामले की जांच अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा की गई, जिसमें दोनों कर्मचारी दोषी पाए गए. निलंबन के साथ-साथ उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है.

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बता दें कि दर्ज एक मामले की विवेचना के दौरान अभियुक्त का नाम हटाने के लिए 20,000 रुपये की मांग की थी. इसकी शिकायत मिलने पर पुलिस अधीक्षक ने तुरंत अपर पुलिस अधीक्षक को जांच का जिम्मा सौंपा. जांच में सामने आया कि दोनों कर्मचारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए रिश्वत की मांग की, जो पुलिस विभाग के नियमों और नैतिकता के खिलाफ है. जांच में दोषी पाए जाने के बाद दोनों को तत्काल निलंबित कर दिया गया.

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निलंबन के साथ-साथ दोनों कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई है. इस जांच में यह तय किया जाएगा कि क्या उनके खिलाफ और सख्त कार्रवाई, जैसे बर्खास्तगी या अन्य दंड, लागू किए जाएंगे. पुलिस अधीक्षक ने स्पष्ट किया कि जांच पूरी होने के बाद दोषी कर्मचारियों पर नियमानुसार अग्रिम कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.

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पुलिस अधीक्षक डॉ. यशवीर सिंह ने इस कार्रवाई को भ्रष्टाचार के प्रति अपनी जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा बताया. उन्होंने कहा, पुलिस विभाग में अनुशासन और पारदर्शिता सर्वोपरि है. किसी भी तरह की अनैतिक गतिविधियों में लिप्त पाए जाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. इस घटना ने जिले की पुलिस व्यवस्था में हड़कंप मचा दिया है और अन्य कर्मचारियों के लिए भी एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है.

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पुलिस अधीक्षक ने पूरे पुलिस बल को चेतावनी दी है कि भविष्य में किसी भी गैर-कानूनी गतिविधि में शामिल पाए जाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ तत्काल और कठोर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि पुलिस का मुख्य उद्देश्य जनता की सेवा और सुरक्षा है और इस दिशा में कोई समझौता नहीं किया जाएगा.