India-Canada Relations: कनाडा की प्रमुख खुफिया एजेंसी CSIS (Canadian Security Intelligence Service) ने अपनी 2024 की वार्षिक रिपोर्ट में पहली बार यह स्वीकार किया है कि खालिस्तानी चरमपंथी कनाडा का उपयोग भारत में हिंसा को बढ़ावा देने, धन जुटाने और योजनाएं बनाने के लिए कर रहे हैं. यह बयान भारत के लंबे समय से उठाए जा रहे आरोपों को मजबूत करता है, जिसमें नई दिल्ली ने यह दावा किया है कि कनाडा खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल बन चुका है.

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इस रिपोर्ट की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि कनाडा ने पहली बार ‘चरमपंथ’ शब्द का उपयोग करते हुए खालिस्तान आंदोलन को आतंकवादी संदर्भ में मान्यता दी है. 1985 के एयर इंडिया बम धमाके के बाद यह पहली बार है जब सरकारी स्तर पर खालिस्तानियों के खिलाफ इतनी स्पष्ट भाषा का प्रयोग किया गया है. रिपोर्ट में कनाडा स्थित खालिस्तानी चरमपंथियों Canada-Based Khalistani Extremists (CBKE) को राजनीतिक प्रेरित हिंसक चरमपंथ Politically Motivated Violent Extremism (PMVE) की श्रेणी में रखा गया है.

भारत ने कई बार दोहराई बात

भारत लंबे समय से यह दावा करता आ रहा है कि खालिस्तानी समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर, जो 2023 में मारे गए, कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं. कनाडा सरकार ने राजनीतिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के नाम पर ऐसे तत्वों को बढ़ावा और सहिष्णुता दी है. अब जब कनाडाई सुरक्षा सेवा (CSIS) ने भारत की चिंताओं की आधिकारिक पुष्टि की है, तो भारत सरकार इसे अपनी राजनयिक स्थिति की वैधता के रूप में प्रस्तुत कर सकती है.

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पाकिस्तान पर भी आरोप

इस रिपोर्ट में खालिस्तानी तत्वों के साथ-साथ पाकिस्तान को भी कनाडा में विदेशी हस्तक्षेप के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. नेशनल सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस कमेटी ऑफ पार्लियामेंटेरियन्स National Security and Intelligence Committee of Parliamentarians (NSICOP) और पब्लिक इनक्वायरी इंटो फॉरेन इंटरफेरेंस Public Inquiry into Foreign Interference (PIFI) की रिपोर्टों में पाकिस्तान को कनाडा की लोकतांत्रिक संस्थाओं पर प्रभाव डालने के लिए दोषी माना गया है.

भारत-कनाडा के रिश्तें

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच जी7 सम्मेलन (2025, कनाडा) में हुई बातचीत ने द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत प्रस्तुत किया है. दोनों नेताओं ने नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति और लंबित व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा करने की सहमति व्यक्त की है.