दिल्ली में 10 साल पुरानी डीजल(Diesel) और 15 साल पुरानी पेट्रोल(Petrol) गाड़ियों के लिए एक नई समस्या उत्पन्न होने जा रही है. दिल्ली सरकार(Delhi Government) इन वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति बंद करने का निर्णय ले चुकी है, जिसके परिणामस्वरूप इन कारों का चलना मुश्किल हो जाएगा. 1 जुलाई से, दिल्ली परिवहन विभाग पेट्रोल पंपों पर एंड-ऑफ-लाइफ वाहनों (ELV) को ईंधन देने पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करेगा, जिससे राज्य में पुराने वाहनों के लिए ईंधन उपलब्ध नहीं होगा.

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राजधानी क्षेत्र में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) एक नई योजना लागू करने जा रहा है. इस योजना के अंतर्गत पुरानी गाड़ियों की पहचान सर्विलांस सिस्टम के माध्यम से की जाएगी. दिल्ली में इस अभियान की शुरुआत के बाद, इसे धीरे-धीरे एनसीआर के अन्य क्षेत्रों में भी विस्तारित किया जाएगा. हालांकि, दिल्ली सरकार के इस प्रयास का विरोध भी शुरू हो गया है, जिसमें एक सर्वेक्षण में 44 प्रतिशत लोगों ने वैकल्पिक उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया है. इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं.

200 टीमें करेंगी निगरानी

दिल्ली सरकार पुराने वाहनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए विशेष टीमें गठित करेगी, जो पेट्रोल पंपों पर निगरानी रखेंगी. इस उद्देश्य के लिए 200 टीमें बनाई जाएंगी, जो एमसीडी, परिवहन विभाग की प्रवर्तन शाखा और ट्रैफिक पुलिस से मिलकर काम करेंगी. पेट्रोल पंप के मालिकों को इस संबंध में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की गई है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि पहचाने गए पुराने वाहनों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी.

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एसओपी में स्पष्ट किया गया है कि रजिस्टर्ड व्हीकल स्क्रैपिंग फैसिलिटी (आरवीएसएफ) के तहत वाहनों की जब्ती और निपटान परिवहन विभाग द्वारा निर्धारित नियमों और दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाएगा. पेट्रोल पंप के मालिकों को हर सप्ताह पकड़े गए वाहनों की सूची सीएक्यूएम और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सौंपनी होगी. वर्तमान में दिल्ली में लगभग 400 पेट्रोल पंप संचालित हो रहे हैं.

कैसे की जाएगी वाहनों की पहचान?

डीजल के 10 साल और पेट्रोल-CNG के 15 साल पुराने वाहनों की पुष्टि कैसे की जाएगी? इसके लिए एक सेंट्रल टूल है, जिसका नाम ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) है. ये कैमरों का एक नेटवर्क है, जोकि सभी पेट्रोल पंप पर लगा हुआ है. ये सिस्टम VAHAN डेटाबेस से लिंक है, जोकि रियल टाइम में पुराने और नॉन-कॉम्प्लाइंट वाले वाहनों का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है.

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जैसे ही कोई कार पंप पर प्रवेश करती है, ANPR कैमरे उसकी लाइसेंस प्लेट को स्कैन करते हैं और VAHAN रजिस्ट्री की जानकारी तुरंत जांचते हैं. यदि कार को एंड-ऑफ-लाइफ वाहन (ELV) के रूप में पहचाना जाता है या उसके पास वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUCC) नहीं है, तो सिस्टम ऑपरेटर को एक ऑडियो अलर्ट भेजा जाएगा. इस अलर्ट के माध्यम से पेट्रोल पंप ऑपरेटर को सूचित किया जाएगा कि यह वाहन एक एंड-ऑफ-लाइफ है और इसे ईंधन नहीं दिया जाना चाहिए.

नियमों के उल्लंघन पर कितना लगेगा जुर्माना?

दिल्ली में सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 62 लाख ऐसे वाहन हैं जिनकी उम्र समाप्त हो चुकी है, जिसमें 41 लाख दोपहिया और 18 लाख चार पहिया वाहन शामिल हैं. इसके अलावा, एनसीआर के अन्य क्षेत्रों में 44 लाख ईएलवी मौजूद हैं. वर्तमान में नियम यह है कि दूसरी बार जब्त किए गए वाहनों को सीधे आरवीएसएफ में भेजा जाएगा. दिल्ली-एनसीआर से बाहर के वाहन मालिकों पर चार पहिया ईएलवी के लिए 10,000 रुपए और दो पहिया ईएलवी के लिए 5,000 रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है. गाड़ी के मालिक जब्ती के तीन सप्ताह के भीतर रिहाई के लिए आवेदन कर सकते हैं, और अधिकारियों को ऐसे आवेदन पर सात दिनों के भीतर निर्णय लेना होता है.

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अगर पेट्रोल पंप मालिक नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उल्लंघन करने वाले पेट्रोल पंप ऑपरेटर्स पर मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 192 के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है. 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था. इसके अलावा, 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सार्वजनिक स्थलों पर 15 साल से अधिक पुराने वाहनों की पार्किंग पर भी रोक लगाई थी.

44% लोग सरकार के कदम के खिलाफ

दिल्ली सरकार की नई नीति के खिलाफ लोगों ने अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है. एक लोकलसर्किल्स के सर्वेक्षण के अनुसार, दिल्ली में लगभग 44 % कार मालिक पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों को ईंधन आपूर्ति पर सरकार के निर्णय का विरोध कर रहे हैं. कुछ लोग वैकल्पिक तरीकों की तलाश कर रहे हैं ताकि वे अपनी पुरानी गाड़ियों में ईंधन भरवा सकें, जबकि अन्य का मानना है कि यह नियम उचित नहीं है, क्योंकि उनके पास कम माइलेज वाली और अच्छी स्थिति में गाड़ियाँ हैं. डीजल कारों के कई मालिकों का यह भी कहना है कि उन्हें धोखा दिया जा रहा है, क्योंकि उन्होंने 15 साल के लिए रजिस्ट्रेशन शुल्क का भुगतान किया है.

दिल्ली के वाहन मालिकों से एक सर्वेक्षण में पूछा गया कि क्या वे दिल्ली सरकार के प्रस्तावित नियम का समर्थन करते हैं, जिसके तहत 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल कारों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन खरीदने से रोका जाएगा. इस सर्वे में 12,795 लोगों ने भाग लिया, जिनमें से 49 प्रतिशत ने सरकार के इस कदम का समर्थन किया, जबकि 44 प्रतिशत ने इसका विरोध किया और 7 प्रतिशत ने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया. कुल मिलाकर, दिल्ली के 11 जिलों से 25,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं, जिनमें 61 प्रतिशत पुरुष और 39 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं.