महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा अनिवार्यता के बाद से भारी हंगामा हुआ है। सरकार के इस फैसले का विभिन्न स्तरों पर विरोध हो रहा है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने भी आक्रामक रुख अपनाते हुए आंदोलन का ऐलान किया है। साथ ही महा विकास अघाड़ी के घटक दलों ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया है। इस मुद्दे पर महायुति सरकार के बैकफुट पर आने के बाद भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि यह फैसला तब लिया गया था, जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे। अब ठाकरे की पार्टी शिवसेना के सांसद संजय राउत ने भाजपा के इस आरोप पर पलटवार किया है और तत्कालीन कैबिनेट बैठक की कार्यवाही मीडिया को पढ़कर सुनाई है।

कोलकाता गैंगरेप: TMC सांसद कल्याण बनर्जी का अजीबोगरीब बयान, कहा- ‘दोस्त ही बलात्कार करे तो क्या करें’

सीएम फडणवीस ने क्या कहा था ?

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस(Chief Minister Devendra Fadnavis) ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति यानि NEP 2020 लागू की गई थी, तब उद्धव ठाकरे की माहा विकास आघाडी (MVA) सरकार सत्ता में थी। उस समय एक 18 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था, जिसने नीति का अध्ययन किया। जून 2021 में इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि मराठी के साथ हिंदी और अंग्रेजी को अनिवार्य किया जाए। इस रिपोर्ट को 27 जनवरी 2022 को उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में स्वीकार किया गया और इस पर आगे की कार्रवाई भी की गई।

उन्होंने सवाल उठाया, “क्या इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले डॉ. रघुनाथ माशेलकर, भालचंद्र मुंगेकर और सुखदेव थोराट जैसे लोग महाराष्ट्र विरोधी हैं? यह नीति उस समय स्वीकार की गई थी, जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे। अब वे इसका विरोध क्यों कर रहे हैं?” फडणवीस ने यह भी कहा कि हमारी सरकार ने हिंदी को अनिवार्य नहीं किया है, बल्कि यह केवल एक वैकल्पिक भाषा के रूप में शामिल की गई है।

भारत-श्रीलंका की ऐतिहासिक डील से बौखलाएगा चीन, हिंद महासागर में पकड़ होगी और मजबूत, MDL ने कोलंबो शिपयार्ड में हासिल की हिस्सेदारी

देवेंद्र फडणवीस के बाप दिल्ली से शिक्षा नीति थोप रहे

संजय राउत ने इसपर कहा कि देवेंद्र फडणवीस के बाप, जो दिल्ली में रहते हैं, उन्होंने यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति हम पर थोपी है। त्रिभाषा फॉर्मूले को लेकर केंद्र सरकार की ओर से बढ़ते दबाव के बाद 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने इस मुद्दे का अध्ययन करने के लिए डॉ. रघुनाथ माशेलकर के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था। संजय राउत ने कहा, इस समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए उद्धव ठाकरे ने इसे कैबिनेट के समक्ष पेश किया। हालांकि, उन्होंने इस रिपोर्ट को लागू करने के लिए कोई सरकारी आदेश जारी नहीं किया।

भारत ने पाकिस्तान को दिया झटका, PAK के आतंकवाद छोड़ने तक सिंधु जल संधि लागू नहीं, भारत ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन को बताया अवैध

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक

उद्धव ठाकरे की अगुवाई में हुई तत्कालीन कैबिनेट बैठक की जानकारी देते हुए संजय राउत ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अध्ययन करने के लिए गठित डॉ. रघुनाथ माशेलकर कार्य समूह की रिपोर्ट कैबिनेट बैठक में पेश की गई। उक्त नीति के क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक कार्यदल गठित करने का निर्णय लिया गया। इस नीति को लागू करने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित कार्य समूह में उपमुख्यमंत्री और अन्य मंत्री शामिल होंगे।

कोलकाता में लॉ की छात्रा से गैंगरेप, मेडिकल रिपोर्ट में मिले अहम सबूत,’जबरन बनाया संबंध, शरीर पर काटने के निशान और नाखूनों से खरोंचा’

संजय राउत ने दी खुली चुनौती

बैठक में समिति द्वारा अनुशंसित मुद्दों के अनुसार की गई कार्रवाई की भी जानकारी दी गई। राउत ने खुले तौर पर चुनौती दी है, देवेंद्र फडणवीस को यह रिपोर्ट सामने लानी चाहिए और इसे सार्वजनिक रूप से पढ़ना चाहिए। इस बीच, केंद्र सरकार के दबाव के कारण, हमने समय बचाने के लिए एक समिति बनाई। लेकिन इस संबंध में कोई जीआर जारी नहीं किया गया। संजय राउत ने महायुति सरकार को घेरने की कोशिश करते हुए आरोप लगाया, मौजूदा फडणवीस सरकार ने हिंदी अनिवार्यता का सरकारी आदेश जारी किया है।