पटना। बिहार पुलिस ने अपराधियों को सिर्फ गिरफ्तार करने तक ही सीमित न रहते हुए उन्हें कोर्ट में दोषी ठहराकर सजा दिलाने में भी देशभर में मिसाल कायम की है। जनवरी से जून 2025 के बीच राज्य में कुल 64,098 आरोपियों को सजा दिलाई गई। इनमें 3 को फांसी, 601 को उम्रकैद और 307 को 10 साल से अधिक की सजा सुनाई गई। खास बात यह है कि सिर्फ 6 महीने में 56,897 आरोपियों को शराबबंदी कानून के तहत जेल भेजा गया।
हत्या मामलों में 611 दोषी, 3 को फांसी
राज्यभर में हत्या के मामलों में 611 आरोपियों को दोषी करार दिया गया। मधुबनी के 2 और कटिहार के 1 आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई। उम्रकैद में पटना शीर्ष पर रहा जहां 35 लोगों को यह सजा मिली। इसके बाद छपरा (34), मधेपुरा (33), शेखपुरा (32) और बेगूसराय (31) का स्थान रहा।
डीजीपी की प्राथमिकता स्पीडी ट्रायल
डीजीपी विनय कुमार ने बताया कि हत्या, आर्म्स एक्ट और अन्य गंभीर मामलों में गवाहों की समय पर पेशी सुनिश्चित की गई। इसके लिए ऑनलाइन माध्यम का भी उपयोग हुआ। पुलिस मुख्यालय मामलों की सख्त मॉनिटरिंग कर रहा है ताकि गवाहों की 100 प्रतिशत उपस्थिति हो और केस लंबा न चले।
भोजपुर में सबसे ज्यादा लंबी सजा
10 साल से अधिक की सजा वाले मामलों में भोजपुर शीर्ष पर है। यहां आर्म्स एक्ट में 231, दुष्कर्म में 122, मादक पदार्थ तस्करी में 284, पॉक्सो एक्ट में 154 और एससी-एसटी एक्ट में 151 मामलों में दोष सिद्ध हुए।
शराबबंदी कानून का बड़ा योगदान
कुल सजाओं में 89% मामले शराबबंदी कानून से जुड़े हैं। शराब के सबसे अधिक मामले मोतिहारी, गया, पटना, भोजपुर, छपरा, नालंदा, बक्सर, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, गोपालगंज, सीवान और सुपौल से आए।
लापरवाहों पर कार्रवाई
डीजीपी ने बताया कि ऐसे अधिकारी, गवाह और डॉक्टर जो बहाने बनाकर कोर्ट में तारीख पर नहीं पहुंचते, उन पर सख्त कार्रवाई हो रही है। इससे सजाओं की रफ्तार बढ़ी है और न्याय प्रक्रिया तेज हुई है।