Bihar News: बिहार में एनडीए की नई सरकार बनने के बाद प्रदेश में प्रशासन का ताबड़तोड़ एक्शन देखने को मिल रहा है। प्रशासन की संयुक्त टीमें पटना, मोतिहारी, नालंदा और मुजफ्फरपुर जैसे कई शहरों में लगातार अतिक्रमण के खिलाफ करते हुए उसपर बुलडोजर चला रही हैं। कई गैर-कानूनी कंस्ट्रक्शन और कब्जा कर बनाए गए मकान को गिराने का काम जारी है, जिससे कई इलाकों में अफरा-तफरी मच गई है। इस बीच बिहार सरकार की बुलडोजर नीती पर लालू यादव के बड़े बेटे और जजद अध्यक्ष तेज प्रताप यादव की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है।
तेज प्रताप यादव ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए इस कार्रवाई को गरीबों पर ज़ुल्म बताया है। तेज प्रताप ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा- आज बिहार के हजारों की संख्या में गरीब, दलित, वंचित परिवार अपने-अपने घरों के टूटने से पूर्ण रूप से टूट चुका है, उनके आंखों से आंसू निकल रहे हैं लेकिन कोई उनको देखने वाला तक नहीं है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि राज्य में गरीब, दलित और वंचित लोगों के लिए “सामाजिक न्याय” अब है ही नहीं।
तेज प्रताप यादव ने प्रदेश के नए गृहमंत्री सम्राट चौधरी पर भी तंज कसा है। उन्होंने आगे लिखा- नीतीश सरकार में नए गृहमंत्री अपने पद को लेकर कुछ ज्यादा ही हतोत्साहित हैं। वे ये भी भूल गए हैं कि कल तक जिस जनता जनार्दन का गुणगान गाते थे, आज उन्हीं लोगों के घर परिवार उजाड़ रहे हैं। नालंदा, सीतामढ़ी, पटना, आरा इत्यादि जैसे अनेकों जिलों में विगत दो दिनों से लगातार बुलडोजर से गरीब, दलित, वंचित समुदाय के लोगों के घर मकान को जबरन तोड़ा जा रहा है।
उन्होंने आगे लिखा- हम सभी इस बात से भली भांति अवगत हैं कि नवंबर महीने से ही ठंड की शुरुआत हो जाती है, दिसंबर और जनवरी के महीने तो कड़ाके की ठंड पड़ती है। इस ठंड के मौसम में किसी का घर टूटने का दर्द क्या होता है यह हम सभी समझ सकते हैं। लेकिन नीतीश सरकार के नए गृहमंत्री यह नहीं समझ पा रहे हैं कि इस बुलडोजर प्रक्रिया से यहां की आमजनमानस के छोटे-छोटे बच्चे, महिलाओं और बुजुर्गों पर क्या बीत रही होगी।
तेज प्रताप यादव ने कहा- हम नीतीश सरकार से मांग करते हैं कि बिहार में बढ़ती ठंड और गरीबी से लाचार और बेबस लोगों के आशियानों को तोड़ने से तत्काल प्रभाव से रोक लगाया जाए। साथ ही हम नीतीश सरकार से यह भी मांग करते हैं कि जिनके भी घरों को अब तक तोड़ा गया है उनकी रहने की उचित व्यवस्था सहित आर्थिक सहायता राशि भी प्रदान की जाए।
नहीं तो गरीबों के आंखों से निकले आंसू और उनकी बद्दुआ से कोई नहीं बच पाएगा। समय आने पर एक-एक आंसुओं का हिसाब हमारी जनता-जनार्दन जरूर लेने का काम करेगी।
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