अमृतसर. पंजाब में भूमिगत जल का स्तर लगातार गिर रहा है और हर साल बारिश की कमी और गिरते जल स्तर के कारण पंजाब के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो रही है. पंजाब सरकार ने एक नई कृषि नीति का मसौदा तैयार किया है, जिसमें सिफारिश की गई है कि जिन जिलों में जल स्तर बहुत नीचे चला गया है, वहां के किसान धान की खेती न करें. इस सुझाव का किसान संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है.
हालांकि, कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, हालात काफी गंभीर हैं. कृषि विशेषज्ञ और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) के पूर्व उप-कुलपति (VC) सरदारा सिंह जोहल का कहना है कि यदि सरकार पानी और बिजली का खर्च किसानों पर डाल दे, तो धान की खेती किसी भी स्थिति में लाभकारी नहीं रहेगी. फिलहाल सरकार किसानों को बिजली और पानी पर सब्सिडी दे रही है, जिससे वे इन फसलों की खेती के लिए प्रेरित हो रहे हैं.
सरदारा सिंह जोहल बताते हैं कि आज सरकार इन्हीं फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) दे रही है, लेकिन अगर हालात नहीं बदले तो भविष्य में पानी नहीं बचेगा. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे उन फसलों की खेती आज ही शुरू करें जिन्हें हमें 20 साल बाद उगाना है, ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए पीने योग्य पानी बच सके. यदि हमने पीने योग्य पानी भी खत्म कर दिया, तो स्थिति बहुत भयावह हो जाएगी.
पीने योग्य पानी नहीं बचा, फसल योग्य भी नहीं: बराड़ पंजाब में जल संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए PAU के फसल विशेषज्ञ अजीत सिंह बराड़ ने बताया कि पंजाब के सभी जिलों में पानी की स्थिति बहुत खराब है. बराड़ का कहना है कि अधिकांश क्षेत्रों में पानी न तो पीने योग्य है और न ही फसल योग्य रह गया है.
बराड़ बताते हैं कि अगर पंजाब में 66 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) पानी की खपत हो रही है, तो इसके मुकाबले केवल 53 BCM पानी ही प्राप्त हो रहा है, बाकी पानी भूमिगत से निकाला जा रहा है. इससे हर साल स्थिति और खराब हो रही है.
क्या धान ही जल संकट के लिए जिम्मेदार है?
अजीत सिंह बराड़ बताते हैं कि पंजाब की कृषि प्रणाली में कई समस्याएं हैं. धान ज्यादा पानी की खपत करता है, लेकिन मक्का और गन्ना जैसी अन्य फसलें भी बहुत पानी मांगती हैं, जिससे जल संसाधन बर्बाद हो रहे हैं. उन्होंने पंजाब के लोगों से अपील की कि हमें मिलकर प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करनी होगी और घरों में भी पानी का सही इस्तेमाल करना होगा, ताकि पीने योग्य पानी का उचित उपयोग हो सके और आने वाली पीढ़ियां भी साफ और शुद्ध पानी पी सकें.
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