प्रयागराज। उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। यौन शोषण के एक मामले में उच्च न्यायालय ने कहा कि सहमति के आधार पर लंबे समय से बनाए जा रहे शारीरिक संबंध को रेप नहीं माना जा सकता है। HC ने शादी के झूठे वादे के आधार पर कई सालों तक सहमति से बनाए गए संबंधों को रेप मानने से इनकार कर दिया है।
ये है पूरा मामला
दरअसल, यूपी के मुरादाबाद की एक महिला ने साल 2018 में महिला पुलिस स्टेशन में श्रेय गुप्ता के खिलाफ रेप और ब्लैकमेलिंग का मामला दर्ज कराया था। महिला का आरोप था कि उसका पति गंभीर रूप से बीमार था। ऐसी स्थिति में आरोपी ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की शुरुआत की और उससे वादा किया कि पति की मृत्यु हो जाने के बाद वह उससे विवाह कर लेगा। पति की मौत के बाद भी दोनों के बीच रिश्ता रहा, लेकिन इसके बाद उसने 2017 में किसी दूसरी महिला से सगाई कर ली।
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आरोपी ने इस मामले में दाखिल चार्जशीट को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया है। जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की सिंगल बेंच ने आरोपी श्रेय गुप्ता की याचिका को मंजूर करते हुए आदेश दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि महिला शादीशुदा होने और बच्चों को जन्म देने के बाद भी पति के जीवित रहते हुए आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी।
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HC ने कहा कि 12 साल तक सहमति से संबंध रहा, लेकिन सिर्फ शादी से इनकार करने के आधार पर इसे रेप नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने इसी आधार पर मुरादाबाद के आरोपी के खिलाफ चल रही क्रिमिनल प्रोसीडिंग को रद्द करते हुए उसे बड़ी राहत दी है।
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