Kailash Gehlot Resignation from AAP: अगले वर्ष फरवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) से पहले आप को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री कैलाश गहलोत ने अपने पद और पार्टी दोनों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आप से रिजाइन करते हुए राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है। पत्र में ‘शीशमहल’ और यमुना का जिक्र करते हुए पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को लपेटे में लिया है।
पत्र में कैलाश गहलोत ने लिखा, “शीशमहल जैसे कई शर्मनाक और अजीबोगरीब विवाद हैं, जो अब सभी को संदेह में डाल रहे हैं कि क्या हम अभी भी आम आदमी होने में विश्वास करते हैं। अब यह साफ है कि अगर दिल्ली सरकार अपना अधिकांश समय केंद्र से लड़ने में बिताती है तो दिल्ली के लिए वास्तविक प्रगति नहीं हो सकती। मेरे पास AAP से अलग होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है और इसलिए मैं आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।
उन्होंने आगे लिखा कि- “अरविंद केजरीवाल जी, मैं आपको सबसे पहले एक विधायक और एक मंत्री के रूप में दिल्ली के लोगों की सेवा करने और उनका प्रतिनिधित्व करने का सम्मान देने के लिए ईमानदारी से धन्यवाद देना चाहता हूं। हालांकि, साथ ही मैं यह भी कहना चाहता हूं कि आज आम आदमी पार्टी के सामने गंभीर चुनौतियां हैं। अंदरूनी चुनौतियां, उन मूल्यों तक जो हमें एक साथ लाए थे, राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं लोगों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता से आगे निकल गई हैं, जिससे कई वादे अधूरे रह गए हैं।
यमुना की सफाई को लेकर भी नाराज थे कैलाश गहलोत
कैलाश गहलोत ने आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाया कहा कि जिस ईमानदार राजनीति के चलते पार्टी में वह आए थे, ऐसा अब हो नहीं रहा है। अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास को ‘शीशमहल’ करार देते हुए उन्होंने कई आरोप लगाए। वहीं, यमुना में बढ़ते प्रदूषण को लेकर भी दिल्ली सरकार पर आरोप लगाए।
BJP से लड़ते रहेंगे तो वास्तविक विकास नहीं होगा’
कैलाश गहलोत ने उदाहरण देते हुए लिखा, “यमुना को हमने स्वच्छ नदी में बदलने का वादा किया था, लेकिन कभी ऐसा नहीं कर पाए। अब यमुना नदी शायद पहले से भी अधिक प्रदूषित हो गई है। इसके अलावा, अब ‘शीशमहल’ जैसे कई शर्मनाक और अजीब विवाद हैं, जो अब सभी को संदेह में डाल रहे हैं कि क्या हम अभी भी आम आदमी होने पर विश्वास करते हैं? एक और दुखद बात यह रही है कि लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय हम केवल अपने स्वयं के राजनीतिक एजेंडे के लिए लड़ रहे हैं। अब यह स्पष्ट है कि अगर दिल्ली सरकार अपना अधिकांश समय केंद्र से लड़ने में बिताती है तो दिल्ली का वास्तविक विकास नहीं हो सकता।
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