Guru Ghasidas Jaynti: मानव-मानव में प्रेम, सद्भावना, भाईचारा, समानता और न्याय की भावना विकसित करने वाले संत गुरु घासीदास बाबा का जन्म 18 दिसंबर 1756 को तत्कालीन रायपुर जिले (वर्तमान बलौदाबाजार जिला) के ग्राम गिरौदपुरी में हुआ था, उन्हीं की स्मृति में आज का दिन मनाया जाता है. गुरु घासीदास बाबा की जयंती 18 दिसंबर को पूरे भारत और कुछ अन्य देशों में मनाई जाती है.
गुरु घासीदास बाबा के सात सिद्धांत (Guru Ghasidas Jaynti)
- सतनाम् पर विश्वास रखना
- जीव हत्या न करना
- मांसाहार न करना
- चोरी और जुआ से दूर रहना
- नशा न करना
- जाति-पाति के प्रपंच में न पड़ना
- व्यभिचार न करना
गुरु घासीदास बाबा के प्रचलित 42 अमृतवाणी
- 1 – सत ह मनखे के गहना आय. (सत्य ही मानव का आभूषण है.)
- 2 – जन्म से मनखे मनखे सब एक बरोबर होथे फेर कर्म के आधार म मनखे मनखे गुड अऊ गोबर होथे. (मनखे-मनखे एक बरोबर)
- 3-सतनाम ल जानव, समझव, परखव तब मानव.
- 4 – बइला-भईसा ल दोपहर म हल मत चलाव.
- 5 – सतनाम ल अपन आचरण में उतारव.
- 6 – अंधविश्वास, रूढ़िवाद, परंपरावाद ल झन मानव.
- 7 – दाई-ददा अउ गुरू के सनमान करिहव.
- 8 – सतनाम ह घट घट में समाय हे, सतनाम ले ही सृष्टि के रचना होए हावय.
- 9 – मेहनत के रोटी ह सुख के आधार आय.
- 10 – पानी पीहु जान के अउ गुरू बनावव छान के.
- 11 – मोर ह सब्बो संत के आय अउ तोर ह मोर बर कीरा ये. (चोरी अउ लालच झन करव.)
- 12- पहुना ल साहेब समान जानिहव.
- 13 – इही जनम ल सुधारना साँचा ये. (पुनर्जन्म के गोठ झूठ आय.)
- 14 – गियान के पंथ किरपान के धार ये.
- 15 – दीन दुःखी के सेवा सबले बड़े धरम आय.
- 16 – मरे के बाद पीतर मनई मोला बईहाय कस लागथे.
- 17 – जतेक हव सब मोर संत आव.
- 18 – तरिया बनावव, कुआँ बनावव, दरिया बनावव, फेर मंदिर बनई मोर मन नई आवय.
- 19 – रिस अउ भरम ल त्यागथे तेकरे बनथे.
- 20 – दाई ह दाई आय, मुरही गाय के दुध झन निकालहव.
- 21 – बारा महीना के खर्चा सकेल लुहु तबेच भले भक्ति करहु नई ते ऐखर कोनो जरूरत नई है.
- 22 – ये धरती तोर ये येकर सिंगार करव.
- 23 – झगरा के जर नइ होवय ओखी के खोखी होथे.
- 24 – नियाव ह सबो बर बरोबर होथे.
- 25 – मोर संत मन मोला काकरो ल बड़े कइही त मोला सूजगा मे हुदेसे कस लागही.
- 26 – भीख मांगना मरन समान ये न भीख मांगव न दव, जांगर टोर के कमाए ल सिखव.
- 27 – सतनाम ह जीवन के आधार आय.
- 28 – खेती बर पानी अव संत के बानी ल जतन के राखिहव.
- 29 – पशुबलि अंधविश्वास ये एला कभू झन करहु.
- 30 – जान के मरइ ह तो मारब आएच आय फेर कोनो ल सपना म मरई ह घलो मारब आय.
- 31 – अवैया ल रोकन नहीं अऊ जवैया ल टोकन झन.
- 32 – चुगली अऊ निंदा ह घर ल बिगाडथे.
- 33 – धन ल उड़ावव झन, बने काम में लगावव.
- 34 – जीव ल मार के झन खाहु.
- 35 – गाय भैंस ल नागर म झन जोतहु.
- 36 – मन के स्वागत ह असली स्वागत आय.
- 37 – जइसे खाहु अन्न वैसे बनही मन, जइसे पीहू पानी वइसे बोलहु बानी.
- 38 – एक धुबा मारिच तुहु तोर बराबर आय.
- 39 – काकरो बर काँटा झन बोहु.
- 40 – बैरी संग घलो पिरीत रखहु.
- 41 – अपन आप ल हीनहा अउ कमजोर झन मानहु, तहु मन काकरो ले कमती नई हावव.
- 42 – मंदिरवा म का करे जईबो अपन घट के ही देव ल मनईबो.
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