झारखंड में टीबी मरीजों की तरह कुष्ठ मरीजों को भी हर महीने 500 रुपये का पौष्टिक भोजन दिया जाएगा. राज्य स्वास्थ्य विभाग की पहल पर केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद देश का पहला राज्य बन गया है, जो अब घर-घर जाकर कुष्ठ मरीजों की खोज कर रहा है. इसकी शुरुआत राज्य के 4000 कुष्ठरोगियों से हुई है, लेकिन इस वर्ष 8000 लोगों को सुविधा मिलनी चाहिए. इसके तहत, पुराने मरीजों को 12 महीने और नए मरीजों को छह महीने की उपचार अवधि तक प्रति माह 500 रुपये देने का प्रावधान किया गया है.
राज्य में कुष्ठ रोग का बोझ कम करने, विकलांगता को कम करने और जनता को जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) संचालित है. केंद्र द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम के तहत, कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) भी मुफ्त में दी जाती है.
13,000 गांवों में घर-घर खोजे जा रहे मरीज
राज्य से कुष्ठ के उन्मूलन को लक्ष्य रखते हुए, स्पर्श कुष्ठ जागरुकता अभियान और कुष्ठ खोज अभियान शुरू किए गए हैं, जो 30 जनवरी को शुरू हुए और 14 फरवरी तक चलेंगे. स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया कि सभी जिलों में जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है और लगभग 13,500 गांवों में कुष्ठ खोज अभियान चलाया जा रहा है, जहां बीते 5 से 7 वर्षों में कुष्ठ रोगी मिले हैं.
जबकि, मुख्य सचिव के निर्देशानुसार, महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग कुष्ठ रोग खोज अभियान में सहिया एवं एक पुरुष स्वैच्छिक कार्यकर्ता का खोजी दल बनाया गया है. हर पांच खोजी दल पर एक पर्यवेक्षक लगाया गया है, जो घर घर जाकर त्वचा की जांच करेंगे और संदेहास्पद रोगी की सूची बनाएंगे.
मुख्य सचिव के अनुसार, खोजी दल द्वारा तैयार किए गए संदेहास्पद मरीजों को पर्यवेक्षक चिकित्सक के पास भेजा जाएगा, जो रोग की संपुष्टि सुनिश्चित करेगा, जो एचएससी, पीएचसी और सीएचसी में व्यवस्था की गई है. रोग की संपुष्टि होने पर मरीज का निबंधन करते हुए उपचार शुरू किया जाएगा. मुख्य बात यह है कि मरीज सरकार में निबंधित होने के बाद पोषण राशि का हकदार होगा. इसके लिए, निबंधन के समय ही एक बैंक खाता बनाया जाता है, जिसमें पोषण राशि का भुगतान किया जाएगा. अगर किसी कारण से भुगतान नहीं हो सका, तो भुगतान अगले दो माह में किया जाएगा.
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