हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में ड्रिंक एंड ड्राइव के खिलाफ सख्त निर्देशों के बावजूद पुलिसकर्मियों की सेटिंगबाजी का मामला सामने आया है। पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह ने ड्रिंक एंड ड्राइव चेकिंग को लेकर कड़े निर्देश दिए थे, जिसके तहत चौराहों पर ब्रेथ एनालाइजर से वाहन चालकों की जांच की जा रही है। इसका उद्देश्य नशे में वाहन चलाने से होने वाले हादसों को रोकना था। लेकिन चौराहों पर तैनात पुलिसकर्मी चालान काटने की बजाय सेटिंगबाजी में जुटे हैं। 

वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों की हो रही अनदेखी 

टू-व्हीलर चालकों से 3000 रुपये और कार चालकों से 5000 रुपये लेकर उन्हें मौके पर ही छोड़ दिया जाता है। इंदौर के कई थाना क्षेत्रों में ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां शराबी चालकों से पैसे लेकर बिना किसी कार्रवाई के जाने दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, Lalluram.com को ऐसी कई शिकायतें मिली हैं, जहां लोगों ने आरोप लगाया कि उनसे पैसे लेकर उनकी गाड़ियां छोड़ दी गईं। इस वसूली से न केवल वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों की अनदेखी हो रही है, बल्कि नशे में वाहन चलाने वाले चालकों की वजह से सड़क हादसों का खतरा भी बढ़ रहा है। 

पुलिसकर्मी चालकों को डर दिखाकर वसूल रहे मोटी रकम 

चेकिंग के दौरान ब्रेथ एनालाइजर मशीन का उपयोग सिर्फ ड्राइवर की जांच तक सीमित है, लेकिन बिना स्लिप निकाले इसका डेटा रिकॉर्ड नहीं होता। पुलिसकर्मी चालकों को डराते हैं कि उनका वाहन जब्त होगा और इसे केवल कोर्ट से ही छुड़वाया जा सकेगा। इसी डर का फायदा उठाकर वे मौके पर ही सेटिंग कर पैसे वसूलते हैं। इसके बाद शराबी चालक, पुलिस को पैसा देकर फिर से नशे में गाड़ी चलाते हुए निकल जाते हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या ड्रिंक एंड ड्राइव चेकिंग का उद्देश्य केवल वसूली तक सीमित रह गया है? क्या वरिष्ठ अधिकारी ब्रेथ एनालाइजर मशीनों के डेटा की जांच कर यह सुनिश्चित करेंगे कि कितने चालकों के खिलाफ कार्रवाई हुई और कितनी गाड़ियां वास्तव में जब्त की गईं?

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