विक्रम मिश्र,लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार भ्र्ष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अखितयार करने और उसको अमल में लाने की हिमायती है। लेकिन सूबे में उसके मातहत ही उसकी इस महत्वाकांक्षी नीति को पलीता लगाते दिखाई देते है। प्रदेश में इस समय पोस्टिंग और प्रमोशन के दौर जारी है। ऐसे में आवेदन विभागवार खूब जुटाए गए है। मुख्यमंत्री की कोशिश थी कि सभी ट्रांसफर में नियम कायदे कानून का अनुपालन सुनिश्चित हो लेकिन सिस्टम और लक्ष्मी तो हर किसी को झुकने पर मजबूर कर ही देती है।

ऐसा ही कुछ मामला आबकारी विभाग में भी देखने को आया है। जहां पर आबकारी विभाग के तबादलों में भी सिस्टम बनाने और उसको चलाने की बात सामने आई है। मुख्यमंत्री की अनुशंसा के मुताबिक ऑनलाइन और मेरिट बेस्ड सिस्टम पर तबादले होने थे। लेकिन सीजन के शुरुआत में ही उसकी हवा निकल गई है। जिले में 3 और मंडल में 7 वर्ष पूरा करने वाले कई इंस्पेक्टर बच गए है जबकि अपना समय भी पूरा न कर पाने वालों का तबादला कर दिया गया है।

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पोर्टल लिंक आबकारी इंस्पेक्टर भी नहीं खोल पाए

सबसे बड़ी बात की ट्रांसफर पोर्टल लिंक भी सभी आबकारी इंस्पेक्टर और कांस्टेबल नहीं खोल पाए है। स्पाउस मेरिट बेस्ड के साथ ही स्पाउस ग्राउंड पर हुए तबादलों पर भी सवाल खड़े होने शुरू हो गए है। मिली जानकारी के अनुसार आबकारी विभाग ने तबादलों की सूची भी दबाने की सूचना भी सामने आई है। आबकारी आयुक्त ने तबादलों के लिए मेरिट अंक व्यवस्था जारी किया था। लेकिन वो महज व्यवस्था का हिस्सा बनकर ही रह गया।