विक्रम मिश्र, लखनऊ. ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म 5252 साल पहले द्वापर युग के अंतिम चरण में हुआ था. तब वृन्दावन आज की तरह ही गलियों के झुंड के स्वरूप में दिखाई देता था, लेकिन भविष्य में ये 22 गालियां नही दिखाई देंगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार अब इन गलियों को तोड़कर कॉरिडोर बनाया जाएगा.

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बता दें कि स्थानीय स्तर पर कोर्ट के इस फैसले का विरोध भी हो रहा है. वहां पर आए श्रद्धालुओं की बात को सुने तो उनका कहना है कि वो इन गलियों को ही देखने आते हैं. गलियों में विचरण करते समय ऐसा महसूस होता है कि कान्हा कहीं आस पास घूम रहे हों. जब ये गलियां ही नहीं होंगी तो चौड़ी सड़क हम तो हाइवे पर भी देख लेंगे.

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वृन्दावन में सामान्य दिनों में 50 हज़ार से 60 हज़ार के मध्य लोग आते हैं, जबकि छुट्टियों में ये संख्या डेढ़ लाख के पाए तक जाती है. इसके अलावा कोई विशेष दिन त्योहार या जन्माष्टमी के समय श्रद्धालुओ की संख्या प्रतिदिन 5 लाख के पार जाती है.

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सरकार से अपील कोई अन्य व्यवस्था करें

मंदिर ट्रस्ट से जुड़े पदाधिकारियों ने पत्र के जरिये भीड़ नियंत्रण और पार्किंग के लिए अन्य व्यवस्था करने की बात कही है. जबकि, उसमें मंदिर प्रशासन भी सहयोग देने के लिए आगे रहेगा. बस उनका अनुरोध है कि कॉरिडोर के नाम पर इन गलियों को सरकार बक्श दे. वृन्दावन की आत्मा इन्हीं गलियों में समाती है. यहां आने वाले लोगों को चौड़ी सड़कें नहींं चाहिए. उन्हें तो कान्हा के साथ ज़िंदगी बितानी है.