रायपुर. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में मंत्रालय में कलेक्टर और डीएफओ कॉन्फ्रेंस चल रही है. मुख्यमंत्री उच्चस्तरीय बैठक में वन विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं. सीएम साय ने वनों से आजीविका के तहत तेंदूपत्ता संग्राहकों को लाभान्वित करने पर चर्चा की. उन्होंन कहा कि तेंदूपत्ता का भुगतान सात से 15 दिनों में किया जाना सुनिश्चित किया जाए. सभी भुगतान बैंक खातों के माध्यम से किया जाना सुनिश्चित करें. भुगतान की जानकारी sms के माध्यम से संग्राहक के मोबाइल पर भेजने की व्यवस्था की जाए.
सीएम साय ने कहा, लगभग 15 लाख 60 हजार संग्राहक को जानकारी ऑनलाइन मिली. तेंदूपत्ता संग्रहण की पूरी प्रक्रिया को कंप्यूटरीकृत करने की पहल हो. सीएम साय ने बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, जिलों में पिछले सीजन में हुए तेंदूपत्ता संग्रहण की जानकारी ली और आने वाले सीजन के लिए कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए.
एक पेड़ मां के नाम अभियान : दो वर्षों में 6 करोड़ से अधिक पौधों का रोपण
सीएम साय ने कहा, एक पेड़ मां के नाम अभियान में दो वर्षों में 6 करोड़ से अधिक पौधों का रोपण हुआ है. माइक्रो अर्बन फॉरेस्ट वृक्षारोपण की शुरुआत की गई है. उन्होंने कहा, इकोटूरिज्म में आजीविका के बड़े साधन छुपे हुए हैं. राज्य में 240 नैसर्गिक पर्यटन केंद्र हैं, बड़ी संख्या में इनसे स्थानीय युवाओं और लोगों को सालभर रोजगार प्राप्त होता है. इनसे अप्रत्यक्ष रूप से लगभग दो हजार परिवार लाभान्वित हो रहे हैं.


बांस वन आधारित आजीविका को बढ़ावा दिया जाए : सीएम
3.71 लाख हेक्टेयर कुल उत्पादक बांस वन क्षेत्र है. मुख्यमंत्री ने बाजार में ज्यादा कीमत पर विक्रय होने वाली बांस की प्रजातियों को बढ़ावा देने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा, विशेष पिछड़ी जनजातियों की आय का मुख्य साधन बांस और उससे बने उत्पाद हैं. बांस वन आधारित आजीविका को बढ़ावा दिया जाए. राज्य में 28 बांस प्रसंस्करण केंद्रों को सक्रिय करना है. बांस शिल्पकारों को मार्केट से संपर्क स्थापित करने में सहयोग करना है. जनजातीय परिवारों को बाजार की मांग के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाए.
लघु वनोपज आधारित स्टार्टअप को बढ़ावा देने के निर्देश
कलेक्टर-डीएफओ कान्फ्रेंस में सीएम विष्णुदेव साय ने कहा, लघु वनोपजों को वनाचलों में आजीविका का महत्वपूर्ण साधन के रूप में विकसित किया जाए. लघु वनोपज आधारित स्टार्टअप को बढ़ावा दें. वन धन केन्द्रों को मजबूत करें. उन्होंने कहा, छतीसगढ़ हर्बल और संजीवनी के उत्पादों को प्रमोट करें. ग्रामीण-शहरी इलाकों में इन उत्पादों को अधिक से अधिक बिक्री का प्रयास करें, ताकि इसका मार्केट विकसित हो और उत्पादों का जैविक प्रमाणीकरण तेजी से हो.
औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने पर जोर
सीएम साय ने कहा, औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए योजना बनाई जाए. धमतरी, मुंगेली, जीपीएम जिले में औषधीय पौधों की खेती पर सभी उपस्थित डीएफओ को जानकारी दी गई. औषधीय पादप बोर्ड के सीईओ ने इस क्षेत्र में संभावनाओं और लोगो के आजीविका को बढ़ाने के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा, औषधीय पौधों की खेती से परम्परागत उपचार का ज्ञान भी आगे बढ़ेगा.
सीएम ने कहा, औषधीय पौधों की खेती के विस्तार के लिए प्रचार प्रसार गतिविधियां बढ़ाई जाए. कृषि, उद्यानिकी विभाग के मैदानी अमले की सहायता लें. बैठक में वन मंत्री केदार कश्यप, मुख्य सचिव विकासशील, अपर अपर मुख्य सचिव ऋचा शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही श्रीनिवास राव, कलेक्टर, वनमण्डलाधिकारी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित हैं.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें