हेमंत शर्मा, इंदौर। क्रिश्चियन कॉलेज को वर्षों पहले सरकारी शर्तों पर दी गई जमीन अब बड़े विवाद में घिर गई है। इंदौर कलेक्टर द्वारा जारी नोटिस के खिलाफ कॉलेज प्रशासन हाईकोर्ट पहुंच गया, लेकिन कोर्ट ने साफ शब्दों में कह दिया कि कलेक्टर का नोटिस बिल्कुल वैध है और पहले उसका जवाब देना अनिवार्य है। प्रशासन का आरोप है कि कॉलेज ने जमीन आवंटन की कई अहम शर्तों का पालन नहीं किया। जमीन का उपयोग तय उद्देश्य से अलग किया गया, कई निर्माण और गतिविधियां नियमों के विपरीत पाई गईं और बार-बार चेतावनी के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। 

READ MORE: चोरी की तालिबानी सजा: खंभे से बांधकर पहनाई जूते की माला, पुलिस ने पहुंचकर छुड़वाया

इसी आधार पर कलेक्टर ने पूछा था- जब शर्तें पूरी नहीं हुईं तो इस सरकारी जमीन को वापस क्यों न लिया जाए? कॉलेज प्रशासन ने इस नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, यह कहते हुए कि प्रशासन पहले ही मन बना चुका है और नोटिस सिर्फ औपचारिकता है। लेकिन जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की बेंच ने यह दलील सीधे खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर का जारी किया गया नोटिस सिर्फ शो-कॉज़ नोटिस है, कोई अंतिम आदेश नहीं। कानूनन नोटिस पर जवाब देना आवश्यक है और विभागीय प्रक्रिया को बिना जवाब दिए टाला नहीं जा सकता। 

READ MORE: MP सिविल जज भर्ती परीक्षा 2022: हाईकोर्ट ने SC-ST अभ्यर्थियों को दी बड़ी राहत, चयनित सूची संसोधित करने के दिए निर्देश  

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नोटिस M.P. Land Revenue Code की धारा 182(2) के तहत जारी किया गया है, इसलिए यह पूरी तरह वैध है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि जिला प्रशासन अब अगली सुनवाई की एक नई तारीख तय करे और कॉलेज प्रशासन को पूरा मौका दे कि वह अपना पक्ष रख सके। इसके बाद कलेक्टर कानून अनुसार स्पष्ट और कारणयुक्त निर्णय देंगे। कुल मिलाकर, हाईकोर्ट के इस फैसले ने इंदौर प्रशासन की कार्रवाई को मजबूती दी है और साफ कर दिया है कि सरकारी जमीन पर शर्तों का उल्लंघन होने पर प्रशासन को जांच और कार्रवाई का अधिकार है। अब शहर की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्रिश्चियन कॉलेज कलेक्टर को क्या जवाब देता है और इस विवाद का अगला अध्याय क्या होगा। 

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H