Onam Festival Katha 2024 : ओणम त्यौहार मलयालम नववर्ष चिंगम महीने की शुरुआत के चौथे या पांचवें दिन शुरू होता है. ओणम त्योहार इस साल 6 सितंबर से शुरू हो गया है. जिसका समापन आखिरी दिन 15 सितंबर 2024 को होगा. 10 दिनों के इस त्योहार के दौरान फसलों की कटाई की जाती है. जगह-जगह मेले लगते हैं. इन दिनों तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. घर की साफ-सफाई और साज-सज्जा की जाती है. घर के बाहर रंगोली बनाई जाती है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह 10 दिवसीय त्योहार केरल में राजा महाबली के समृद्ध और समृद्ध शासनकाल की याद में मनाया जाता है. ओणम त्यौहार 1 हजार साल पुराना माना जाता है, इस त्यौहार से जुड़े शिलालेखों से पता चलता है कि यह त्यौहार 800 ईसा पूर्व मनाया जाता था. 

शहर में यह त्यौहार सभी समुदाय के लोगों के साथ मनाया जाता है. यह त्यौहार मलयालम कैलेंडर के पहले महीने चिंगम के शुरुआती दिनों में मनाया जाता है. ओणम त्यौहार चार से दस दिनों तक चलता है, जिसमें दसवां दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है

ओणम किसानों से जुड़ा त्योहार है लेकिन यह पूरे केरल में मनाया जाता है. यह राजा महाबली के स्वागत में हर साल मनाया जाता है. जो दस दिनों तक चलता है. यह उत्सव कोच्चि के पास त्रिक्काकारा के वामन मंदिर से शुरू होता है. ओणम में हर घर के फर्श पर फूलों की पंखुड़ियों से खूबसूरत रंगोलियां बनाई जाती हैं. जिसे पूकलम कहा जाता है. लड़कियां रंगोली के चारों ओर गोल घेरा बनाकर नृत्य करती हैं. उसे तिरुवथिरा काली कहा जाता है. रंगोली का आकार पहले छोटा होता है

वामन अवतार की कथा (Onam Festival Katha 2024)

सतयुग में असुर बलि ने देवताओं को हराकर स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया. उसके बाद, देवता मदद के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे. तब विष्णुजी ने देवी अदिति के गर्भ से वामन रूप में अवतार लिया. फिर एक दिन जब राजा यज्ञ कर रहे थे, वामनदेव बलि के पास गए और दान में तीन पग पृथ्वी मांगी.

यद्यपि शुक्राचार्य ने इनकार कर दिया, राजा बलि ने वामनदेव को तीन पग पृथ्वी दान में देने का वादा किया. उसके बाद वामनदेव ने विशाल रूप धारण कर लिया. एक पैर से पृथ्वी और दूसरे पैर से स्वर्ग नाप लिया. वामनदेव ने अपना पैर बलि के सिर पर रख दिया और वह पाताल लोक पहुंच गया. बलि की दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान ने उसे पाताल लोक का स्वामी बना दिया और सभी देवताओं को उनका स्वर्ग वापस दे दिया.