जगदलपुर। हस्तशिल्प के क्षेत्र में बस्तर का नाम हमेशा चर्चा में रहा है. बस्तर संभाग में गढ़बेंगाल, कोहकापाल, लामकेर, भाेंड समेत कुछ अन्य गांव भी हैं, जिनकी पहचान ही शिल्पकारों के कारण है. गढ़बेंगाल के आदिवासी पंडीराम मंडावी (65 वर्ष) मंझे हुए शिल्पकार हैं. इस बार छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस पर राज्य सरकार पंडीराम मंडावी को दाऊ मंदराजी राज्य अलंकरण देने जा रही है. यह सम्मान उन्हें राज्योत्सव में आयोजित होने वाले अलंकरण समारोह में लोक शिल्प के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए दिया जाएगा.
पंडीराम मंडावी की बनाई काष्ठ की कलाकृतियां देश के महानगरों में बड़े होटलों, एम्पोरियम में दिखाई देती है. इंग्लैंड के प्रतिष्ठित कैंब्रिज विश्वविद्यालय के संग्राहालय (म्यूजियम) में भी पंडीराम की बनाई काष्ठ कलाकृति शोभायमान है. पंडीराम मंडावी के लिए काष्ठ शिल्पकला पुश्तैनी काम है. उनके पिता स्वर्गीय मंदेर मंडावी भी बड़े कलाकार थे. पंडीराम ने पिता से शिल्पकारी की बारीकियां सीखी और आज सिद्धहस्त कलाकार हैं. जापान, इटली, फ्रांस, जर्मनी आदि देशों में भारत महोत्सव में शामिल होकर काष्ठ शिल्प का प्रदर्शन कर चुके हैं. देश-विदेश से शिल्पकला के जानकार और शोधार्थी पंडीराम से मिलने गढ़बेंगाल भी आते हैं.
कई पुरस्कारों से हो चुके हैं सम्मानित
पंडीराम मंडावी कई पुरस्काराें से सम्मानित किए जा चुके हैं. सात साल उन्हें केरल सरकार की ललित कला अकादमी ने पंडीराम को प्रतिष्ठित जे स्वामीनाथन पुरस्कार से सम्मानित किया था. छत्तीसगढ़ शासन ने भी हस्तशिल्प के क्षेत्र में शिल्प गुरु की उपाधि से सम्मानित किया है. उनके कई शिष्य भी काष्ठ शिल्प के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे.
टाइगर ब्वाय चेंदरू के छोटे भाई हैं पंडीराम
पंडीराम मंडावी टाइगर ब्वाय के नाम से प्रसिद्ध हुए स्वर्गीय चेंदरू मंडावी के छाेटे भाई हैं. चेंदरू मंडावी हालीवुड की फिल्म में काम किया था. पंडीराम के पुत्र शिक्षक बल्देव मंडावी का कहना है कि उन्हें गर्व है कि वह जिस परिवार से हैं उनके स्वजनों ने बस्तर के नाम को अपने हुनर से आगे बढ़ाने का काम किया है और छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया है.
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