आरिफ कुरैशी, श्योपुर। कूनो नेशनल पार्क से निकलकर शहर के रिहायसी इलाके के पास पहुंचे नर चीता वायु तीन दिन बीत जाने के बाद भी नहीं लौटा है। शहर के पास का वातावरण उसे सर्दी के इस मौसम में शायद अच्छा लग रहा है इसी वजह से वह जिस जगह पर रविवार को पहली बार पहुंचा था उसी जगह पर अभी भी रह रहा है।
कूनो से निकलकर आए इस चीते को मोर डूंगरी नदी के पास रोजाना सुबह देखा जा रहा है, यह चीता नदी के पास के बीहड़ में खड़े घने पेड़ और झाड़ियां के बीच रह रहा है। पास में पत्थर खदान और क्रेशर है, चीता रोजाना झाड़ियां से निकलकर मोर डूंगरी नदी में सुबह पानी पीने के लिए पहुंचता है इसके बाद वापस लौटकर उसी स्थान पर आ जाता है। इसका वीडियो भी सामने आया है। सुरक्षा और देखरेख में पांच सदस्यों की टीम लगी हुई है जिनके पास एक चार पहिया वाहन भी है, जिसमें यह टीम रात गुजारती है।
डूंगरी नदी में पानी पीने के लिए पहुंचा
मंगलवार को सुबह चीता घने पेड़ों से निकलकर मोर डूंगरी नदी में पानी पीने पहुंचा और फिर वापस उसी जगह पर लौट आया। देखरेख में तैनात पांच लोगों में से एक आर्मी जैसी वर्दी पहने हुए और 4 सिविल ड्रेस में है। चीता की तीन दिनों से मौजूदगी की वजह से आसपास के किसान और ग्रामीण परेशान है। दहशत के मारे वह खेतों पर जाने से कतरा रहे है। रात में सन्नाटा पसर जाता है। लोगों को इंतजार है कि, वन विभाग की टीम कब इस चीते को यहां से लेकर जाए और वह खेतों की रखवाली कर सकें। ढेगदा गांव के किसानों का कहना है कि, चीता हमारे खेतों के पास है इस वजह से हम परेशान है।
यहां का वातावरण रास आ रहा
कूनो नेशनल पार्क से निकलकर रिहायसी इलाके में पहुंचे वायु चीते को सर्दी के इस सीजन में यह नया ठिकाना खूब रास आ रहा है, वजह यही है कि, यहां पर मोर डूंगरी नदी में पर्याप्त पानी मिल जाता है। बड़े घने पेड़ और झाड़िया है जिनकी वजह से रात के समय सर्दी से भी बचाव होता है। हालांकि यह चीता रातभर चिल्लाता रहता है यह उनकी फितरत होती है या फिर सर्दी व अकेलेपन के कारण अपने भाई अग्नि चीते को याद करके ऐसा करता है, यह समझ से परे हैं। एक ही जगह पर चीते की 3 दिनों से मौजूदगी इस बात का संकेत है कि उसे यहां का वातावरण रास आ रहा है।
तीन दिनों से नहीं किया शिकार
कूनो नेशनल पार्क से रविवार को निकलकर रिहाइशी इलाके में पहुंचा यह नर चीता वायु पिछले तीन दिनों से किसी भी जानवर का शिकार नहीं किया है। वन विभाग के अधिकारियों का दावा है कि, चीता इंसानों पर अटैक नहीं करता है। लोग डरे हुए हैं क्योंकि वह जानवर है और अपनी भूख मिटाने के लिए या फिर इंसानों को देखकर वह अटैक न कर दें। कलारना गांव के किसान बजरंगा का कहना है कि, घर से बाहर निकलने में भी डर लग रहा है। हम तो खेत भी नहीं जा पा रहे। किवाड़ लगाकर घर पर ही रह रहे हैं। सब लोग डर रहे हैं क्योंकि, जानवर किसी पर भी हमला कर सकता है।
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