रायपुर। राजधानी के एमएमआई नारायणा अस्पताल, जो उन्नत स्पाइनल देखभाल में सबसे आगे है, उस अस्पताल ने सी1 स्पाइन फ्रैक्चर के इलाज के लिए एक जटिल सर्जिकल प्रक्रिया के सफल समापन की घोषणा की है. यह अभूतपूर्व सर्जरी न्यूरोसर्जिकल देखभाल में नवाचार और उत्कृष्टता के प्रति सुविधा की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है.

सी1 वेर्टेब्रा, जिसे एटलस भी कहा जाता है, खोपड़ी को सहारा देने और सिर की गति की अनुमति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस क्षेत्र में फ्रैक्चर दुर्लभ हैं और अक्सर कठिनाई पैदा करते हैं क्योंकि यह महत्वपूर्ण संरचनाओं जैसे कि वर्टिब्रल आर्टरीज़, रीढ़ की हड्डी और ब्रेन स्टेम के निकट है. इस क्षेत्र में फ्रैक्चर से होने वाली कठिनाई जिसमे, न्यूरोलॉजिकल हानि और मस्तिष्क में रक्त प्रवाह में बाधा शामिल है. इससे रोगी वेंटिलेटर पर पूरी तरह से निर्भर हो सकता है, जिसमें कोई अंग गति (पैरापलेजिया), स्ट्रोक के लक्षण और यहां तक कि मृत्यु भी शामिल हो सकती है. जिससे परेशानी होने का खतरा बड़ जाता है.

डॉ. घनश्याम सासापर्धी के नेतृत्व में हमारी सर्जिकल टीम ने इस चुनौतीपूर्ण चोट का समाधान करने में असाधारण विशेषज्ञता और सटीकता का प्रदर्शन किया. सी1-सी2 फिक्सेशन प्रक्रिया, सी1 फ्रैक्चर के स्थिरीकरण के लिए की गई थी, इसमें रोगी की सुरक्षा सुनिश्चित करने और सेहत की पुर्नप्राप्ति को बढ़ावा देने के लिए उन्नत इमेजिंग, माइक्रोस्कोप और कस्टम प्रत्यारोपण का उपयोग शामिल था. पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल में गतिशीलता और कार्य को बहाल करने के लिए डिज़ाइन किया गया एक अनुरूप पुनर्वास कार्यक्रम शामिल था.

35 वर्षीय पुरुष रोगी पूरी तरह से ठीक हो गया है, स्वस्थ सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा है और प्राप्त सहानुभूतिपूर्ण देखभाल के लिए आभार व्यक्त किया है. “स्थानीय स्तर पर इस तरह के उन्नत उपचार विकल्पों तक पहुंच होना जटिल स्पाइनल स्थितियों वाले रोगियों के लिए एक गेम-चेंजर है. न्यूरोलॉजिकल क्षति से बचने और पूर्ण रिकवरी सुनिश्चित करने के लिए सर्जरी द्वारा प्रारंभिक निदान और स्थिरीकरण इन रोगियों में महत्वपूर्ण है,” डॉ. घनश्याम सासपर्धी ने कहा.

एमएमआई नारायणा अस्पताल स्पाइनल देखभाल में नवाचार के मामले में सबसे आगे है और उन उपचारों का बीड़ा उठाना जारी रखता है जो रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हैं.