अलीगढ़. योगी सरकार का अंधा सिस्टम लापरवाही की सारी सीमाएं पार कर चुका है. अंधे सिस्टम के लापरवाह अधिकारियों ने एक जिंदा इंसान को कागजों में मुर्दा करार दे दिया. जिसकी वजह से वृद्ध अब अपनी पेंशन पाने के लिए दर-दर की ठोकरे खाने पर मजबूर है. वृद्ध दफ्तर के चक्कर काटकर अपने जिंदा होने का सबूत दे रहा है. वहीं जिम्मेदार अपनी लापरवाही को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं. क्या अधिकारी नशे में काम कर रहे हैं, जो जीते जी इंसान को मुर्दा करार दे रहे हैं?

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बता दें कि पूरा मामला विकास खंड टप्पल के एक गांव जिकरपुर का है. जहां वृद्ध गुलजार को अधिकारियों ने सत्यापन जांच में मृत घोषित कर दिया है. जिसकी वजह से वृद्ध को पेंशन नहीं मिल पा रही है. पेंशन न मिलने से वृद्ध की जीविका पर असर पड़ रहा है, बल्कि उन्हें दफ्तरों के चक्कर भी लगाने पड़ रहे हैं.

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वहीं मामले को लेकर वृद्ध का कहना है कि उन्होंने अधिकारियों से मुलाकात की है और उनका कहना है कि टप्पल ब्लॉक से आई सत्यापन रिपोर्ट में मृत घोषित किया गया है. जिस पर उन्होंने अधिकारियों को जीवित बताते हुए सत्यापन रिपोर्ट भी दिखाई. जिसके बाद अधिकारी लीपापोती कर रहे हैं. वृद्ध का कहना ये भी है कि जो भी इस लापरवाही का जिम्मेदार है, उस पर कार्रवाई की जानी चाहिए.

लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई कब?

सवाल सिर्फ वृद्ध के पेंशन का नहीं है. सवाल सिस्टम में बैठे लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों का है. आखिर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई? किसी जिंदा इंसान को ऐसे कैसे मृत घोषित कर दिया गया. ये पहला मामला नहीं है, जब इस तरह का मामला सामने आया हो. इससे पहले भी इस तरीके के मामले सामने आ चुके हैं. इसके बाद भी योगी सरकार का सिस्टम अपनी गलतियों को सुधारने में नहीं, वही गलती दोबारा दोहराने में मस्त है.