तनवीर खान, मैहर। Holi 2025: मध्य प्रदेश का इतिहास काफी पुराना है। यहां कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनके दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। भगवान जगन्नाथ का ऐसा ही एक मंदिर मैहर जिले में स्थित है, जहां के प्रसाद का महत्व इतना है कि इसे ग्रहण करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि राजा ने अपने कोढ़ की बीमारी ठीक होने के बाद इस मंदिर को बनवाया था।

महाप्रसाद चढ़ाने कई जिलों से आते हैं श्रद्धालु 

विंध्य क्षेत्र में श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर मुकुन्दपुर में हर वर्ष की तरह इस साल भी होली पर्व के अवसर पर अटका महापर्व आयोजित किया गया है। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति ने आयोजन की तैयारी कई दिनों पहले से ही कर ली जारी है। वहीं महाप्रसाद चढ़ाने के लिए अलग-अलग भक्त को अवसर दिया गया है। बताया जाता है कि श्री जगन्नाथ मंदिर में अटका पर्व के दौरान अटका प्रसाद चढ़ाने और कढ़ी-भात का प्रसाद ग्रहण करने के लिए रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली और पन्ना से लाखो श्रृद्धालु यहां उमड़ते हैं। 

भगवान विष्णु की कलचुरी कालीन मूर्ति भी यहां

इन प्रतिमाओं के बीच में भगवान विष्णु की कलचुरी कालीन भारतीय कला दर्शन की एक उत्कृष्ट मूर्ति भी स्थापित है। कहते हैं कि कलचुरी काल में यहां भगवान विष्णु का मंदिर था। कालांतर में मंदिर के गिर जाने पर महाराजा भाव सिंह ने ईरानी गुम्बद शैली का मंदिर निर्माण कराया और उसी मेंं इन मूर्तियों की स्थापना कराई।

जगन्नाथ स्वामी के दर्शन और महाप्रसाद से पाप मुक्त हो जाता है मनुष्य 

‘जगन्नाथ के भात को जगत पसारे हाथ’ कहावत होली के दिन मुकुंदपुर मंदिर में चरितार्थ होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि जगन्नाथ स्वामी के दर्शन और उनके महाप्रसाद के सेवन से मनुष्य पाप मुक्त हो जाता है। उनके भात को लेकर सदियों से जाति-पंथ का भेदभाव समाप्त हुआ। उनके प्रसाद के रूप में मानव में एकांकी भाव का प्रकटीकरण होता है और सामाजिक समरसता और भाई चारा को बढ़ावा मिलता है।

लक्ष्मीकान्त द्विवेदी ने बताया कि जिनकी भी इच्छाएं पूरी होती है, वो प्रसाद चढाने का संकल्प लेता है। इसी के साथ, मंदिर प्रबंधन को आवेदन देते हैं। 5 या 10 साल तक इंतजार करने के बाद उन्हें प्रसाद चढाने का अवसर मिलता है। 

यह है मान्यता 

मान्यता है कि महाराजा भावसिंह को कोढ़ की बीमारी थी। भगवान जगन्नाथ के चरणामृत से उनकी समस्या ठीक हो रही थी। जिसे ग्रहण करने वह बार-बार जगन्नाथ पुरी जाते थे। इस वजह से 1680-85 के बीच में उन्होंने भगवान का विग्रह लाकर यहां स्थापित किया था। कहा जाता है कि अगर किसी को कोई बीमारी हो या फिर उनकी मनोकामनाएं पूरी नहीं हो रही तो भगवान के चरणामृत से वह ठीक हो जाती है।

2035 तक अटका प्रसाद की बुकिंग

श्री जगन्नाथ मंदिर मुकुंदपुर की आस्था का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि साल वर्ष 2035 तक अटका प्रसाद की बुकिंग हो चुकी है। अगर कोई इससे पहले प्रसाद चढ़ाना चाहे तो यह मुमकिन नहीं है। होली पर फाग में तो संभव ही नहीं है। इसके लिए पूर्णिमा का विकल्प रखा गया है।

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