शिवम मिश्रा, रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाला मामले में सोमवार को बड़ी कार्रवाई हुई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ के दो वरिष्ठ रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को गिरफ्तार कर लिया है। विशेष अदालत ने दोनों को चार सप्ताह की रिमांड पर ईडी को सौंप दिया है।

अदालत में सरेंडर के बाद गिरफ्तारी
जानकारी के अनुसार, पूर्व मुख्य सचिव आलोक शुक्ला सोमवार सुबह विशेष ईडी कोर्ट पहुंचे और सरेंडर आवेदन प्रस्तुत किया। कोर्ट द्वारा आवेदन स्वीकार करने के बाद ईडी की टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। वहीं, अनिल टुटेजा पहले से ही न्यायिक हिरासत में थे। ईडी ने उनके खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी कर उन्हें भी अदालत में पेश किया, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी प्रक्रिया पूरी की गई।
28 दिन तक होगी कड़ी पूछताछ
विशेष अदालत ने ईडी की दलीलों को मानते हुए दोनों अधिकारियों को 28 दिन की रिमांड पर भेज दिया है। इस दौरान ईडी दफ़्तर में दोनों से लगातार गहन पूछताछ की जाएगी। ईडी अधिकारियों का कहना है कि नान घोटाले में इनकी भूमिका और कथित वित्तीय लेनदेन की परतें खोलने के लिए लंबी अवधि की रिमांड आवश्यक है।
ईडी की दलील
ईडी के वकील सौरभ पांडे ने अदालत में बताया कि नान घोटाले के समय आलोक शुक्ला निगम के चेयरमैन थे, जबकि अनिल टुटेजा सचिव पद पर थे। दोनों के कार्यकाल में ही भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतें सामने आई थीं। करोड़ों रुपए के लेन-देन और कथित कमीशनखोरी को लेकर कई अहम दस्तावेज सामने आए हैं। पांडे ने कहा कि मामले की जटिलता को देखते हुए विस्तृत पूछताछ और साक्ष्य जुटाने के लिए लंबी रिमांड आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है जमानत याचिका
बहुचर्चित नान घोटाला केस में डॉ. शुक्ला और अनिल टुटेजा को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल चुकी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, दोनों अधिकारियों को पहले दो हफ्ते ईडी की कस्टडी में रहना होगा। उसके बाद दो हफ्ते न्यायिक हिरासत में रहना होगा। इसके बाद ही उन्हें जमानत मिल सकेगी।
अदालत ने यह भी कहा कि आरोपियों ने 2015 में दर्ज नान घोटाला मामले और ईडी की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी। सुप्रीम कोर्ट से जमानत याचिका के खारिज होने के दूसरे ही दिन यानी 18 सितंबर को ईडी की टीम ने डॉ. आलोक शुक्ला के भिलाई के तालपुरी स्थित घर में दबिश दी थी। उस दौरान डॉ. आलोक शुक्ला ED की स्पेशल कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचे, लेकिन कोर्ट ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अपलोड नहीं होने का हवाला देते हुए सरेंडर करने से रोक दिया था। इसके अगले दिन यानी 19 सितंबर को उनके सरेंडर आवेदन पर आज यानी 22 सितंबर तक के लिए सुनवाई टाल दी गई थी।
भूपेश सरकार में मिली पॉवरफुल पोस्टिंग
गौरतलब है कि नान घोटाला का जब खुलासा हुआ था तो आलोक शुक्ला खाद्य विभाग के सचिव थे। उन्हें भी इस मामले में आरोपी बनाया गया था और दिसंबर 2018 को उनके खिलाफ कोर्ट में EOW ने चार्जशीट पेश की थी। इसके बाद 2019 को आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिली गई थी। जमानत मिलने के बाद दोनों अफसरों को कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में पॉवरफुल पोस्टिंग मिली। इस पोस्टिंग के दौरान EOW की नान घोटाले की जांच को प्रभावित करने का आरोप दोनों अफसरों पर लगा था। इसी मामले में पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ भी ईडी ने एफआईआर की थी। हालांकि सतीश चंद्र वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है।
जानिए क्या है नान घोटाला
नान घोटाला फरवरी 2015 में सामने आया था, जब ACB/EOW ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करने वाली नोडल एजेंसी नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) के 25 परिसरों पर एक साथ छापे मारे थे। छापे के दौरान कुल 3.64 करोड़ रुपए नकद जब्त किए गए थे। छापे के दौरान एकत्र किए गए चावल और नमक के कई नमूनों की गुणवत्ता की जांच की गई थी, जो घटिया और मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त थे। आरोप था कि राइस मिलों से लाखों क्विंटल घटिया चावल लिया गया और इसके बदले करोड़ों रुपए की रिश्वत ली गई। चावल के भंडारण और परिवहन में भी भ्रष्टाचार किया गया। शुरुआत में शिव शंकर भट्ट सहित 27 लोगों के खिलाफ मामला चला। बाद में निगम के तत्कालीन अध्यक्ष और एमडी का नाम भी आरोपियों की सूची में शामिल हो गया। इस मामले में दो IAS अफसर भी आरोपी हैं। मामला अदालत में चल रहा है।
गौरतलब है कि 28 दिन की रिमांड अवधि के दौरान ईडी अधिकारियों की पूछताछ से इस मामले में कई अहम खुलासे होने की उम्मीद जताई जा रही है। दोनों अधिकारियों से वित्तीय लेन-देन, बैंक खातों, और कथित रूप से जुड़ी कंपनियों के बारे में जानकारी हासिल की जाएगी।
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