Kartik Maas 2025 : रायपुर. हिंदू धर्म में कार्तिक मास को हिन्दू धर्म का सबसे पवित्र महीना माना गया है. ऐसी मान्यता है कि इस महीने भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा से जागते हैं और इसी दिन से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. कार्तिक मास में स्नान, दान, दीपदान और पूजा का विशेष महत्व होता है. इस समय किए गए पुण्य कर्म से मनुष्य को सौभाग्य और शांति की प्राप्ति होती है.

पवित्र कार्तिक महीने की शुरूआत शरद पूर्णिमा से होती है और अंत होता है कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली से. इस बीच करवा चौथ, अहोई अष्टमी, रमा एकादशी, गौवत्स द्वादशी, धनतेरस, रूप चतुर्दशी दीवाली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, सौभाग्य पंचमी, छठ, गोपाष्टमी, आंवला नवमी, देव एकादशी, बैकुंठ चतुर्दशी, कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दौरान देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी का विशेष महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के पश्चात उठते हैं. इस दिन के बाद से सारे मांगलिक कार्य शुरू किए जाते हैं.

Kartik Maas 2025 : कार्तिक महीने में दान करना होता है लाभकारी

सिद्धपीठ श्री महामाया मन्दिर रायपुर के ज्योतिषी एवं भागवताचार्य पं. मनोज शुक्ला ने बताया कि कार्तिक महीने का हिन्दू धर्म में खास महत्व है. यह मास शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा पर खत्म होता है. इस महीने में दान, पूजा-पाठ और स्नान का बहुत महत्व होता है. साथ ही इसे कार्तिक स्नान की संज्ञा दी जाती है. यह स्नान सूर्योदय से पूर्व किया जाता है. स्नान कर पूजा-पाठ को खास अहमियत दी जाती है. साथ ही देश की पवित्र नदियों में स्नान का खास महत्व होता है. इस दौरान घर की महिलाएं नदियों में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करती हैं. यह स्नान विवाहित और कुंवारी दोनों के लिए फलदायी होता है. रायपुर के खारून नदी में भी स्नान करने वालों की संख्या में काफी वृद्धि देखने को मिलता है.

इस कार्तिक महीने में दान करना लाभकारी होता है. दीपदान का भी खास विधान है. यह दीपदान मंदिरों, नदियों के अलावा आकाश में भी किया जाता है. यही नहीं ब्राह्मण भोज, गाय दान, तुलसी दान, आंवला दान तथा अन्न दान का भी महत्व होता है.

पं. मनोज शुक्ला ने बताया कि हिन्दू धर्म में इस महीने में कुछ परहेज बताए गए हैं. कार्तिक स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को इसका पालन करना चाहिए. इस मास में धूम्रपान, मद्यपान निषेध होता है. यही नहीं लहुसन, प्याज और मांसाहर का सेवन भी नही करना चाहिए. इस महीने में विष्णु भक्त को भूमि शयन करना चाहिए. इस दौरान सूर्य उपासना विशेष फलदायी होती है. साथ ही दोपहर में सोना भी अच्छा नहीं माना जाता है.

Kartik Maas 2025 : कार्तिक महीने में मां तुलसी की पूजा का खास महत्व

संस्कृत भाषा के प्रचारक पं. चन्द्रभूषण शुक्ला ने बताया कि कार्तिक महीने में तुलसी जी की पूजा का खास महत्व है. ऐसा माना जाता है कि तुलसी जी भगवान विष्णु की प्रिया हैं. तुलसी की पूजा कर भक्त भगवान विष्णु को भी प्रसन्न कर सकते हैं. इसलिए श्रद्धालु गण विशेष रूप से तुलसी की आराधना करते हैं. इस महीने में स्नान के बाद तुलसी तथा सूर्य को जल अर्पित किया जाता है तथा पूजा-अर्चना की जाती है. यही नहीं तुलसी के पत्तों को खाया भी जाता है जिससे शरीर निरोगी रहता है. साथ ही तुलसी के पत्तों को चरणामृत बनाते समय भी डाला जाता है. यही नहीं तुलसी के पौधे का कार्तिक महीने में दान भी दिया जाता है. तुलसी के पौधे के पास सुबह-शाम दीया भी जलाया जाता है. अगर यह पौधा घर के बाहर होता है तो किसी भी प्रकार का रोग तथा व्याधि घर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं. तुलसी अर्चना से न केवल घर के रोग, दुख दूर होते हैं बल्कि अर्थ, धर्म, काम तथा मोक्ष की भी प्राप्ति होती है.