लखनऊ. अरावली के जंगल को उजड़ने की तैयारी की जा रही है, जिसे लेकर देशभर में नाराजगी देखने को मिल रही है. ऐसे में अरावली की पहाड़ियों को बचाने के लिए अखिलेश यादव ने दिल्ली के लोगों से अपील की है. साथ ही अखिलेश य़ादव ने अरावली की पहाड़ियों को दिल्ली और एनसीआर का प्राकृतिक सुरक्षा कवच बताया है.
अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, बची रहे जो ‘अरावली’ तो दिल्ली रहे हरीभरी! अरावली को बचाना कोई विकल्प नहीं है, बल्कि ये तो संकल्प होना चाहिए. मत भूलिए कि अरावली बचेगी तो ही एनसीआर बचेगा. अरावली को बचाना अपरिहार्य है, क्योंकि यह दिल्ली और एनसीआर के लिए एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच है या कहें क़ुदरती ढाल है. अरावली ही दिल्ली के ओझल हो चुके तारों को फिर से दिखा सकती है, पर्यावरण को बचा सकती है. अरावली पर्वतमाला ही दिल्ली के वायु प्रदूषण को कम करती है और बारिश-पानी में अहम भूमिका निभाती है.
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आगे कहा कि अरावली से ही एनसीआर की जैव विविधता बची हुई है, जो वेटलैंड गायब होते चले जा रहे हैं. उन्हें यही बचा सकती है. गुम हो रहे परिंदों को वापस बुला सकती है. अरावली से ही एनसीआर का तापमान नियंत्रित होता है. इसके अलावा अरावली से एक भावात्मक लगाव भी है, जो दिल्ली की सांस्कृतिक-ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा है.
आगे अखिलेश यादव ने ये भी कहा कि अरावली को बचाना, दिल्ली के भविष्य को बचाना है, नहीं तो एक-एक सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहे दिल्लीवासी स्मॉग जैसे जानलेवा हालात से कभी बाहर नहीं आ पाएंगे. आज एनसीआर के बुज़ुर्ग, बीमार और बच्चों पर प्रदूषण का सबसे ख़राब और ख़तरनाक असर पड़ रहा है. यहां के विश्व प्रसिद्ध हॉस्पिटल और मेडिकल सर्विस सेक्टर तक बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जो लोग बीमारी ठीक करने दिल्ली आते थे, वो अब और बीमार होने नहीं आ रहे हैं.
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- यही हाल रहा तो उत्तर भारत के सबसे बड़े बाज़ार और आर्थिक केंद्र के रूप में भी दिल्ली अपनी अहमियत खो देगी.
- विदेशी तो छोड़िए, देश के पर्यटक भी यहां नहीं आएंगे.
- न ही दिल्ली में कोई बड़ा इवेंट आयोजित होगा.
- न ही कोई राजनीतिक, शैक्षिक, अकादमिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक सम्मेलन आयोजित होगा.
- न ही ओलंपिक, कॉमनवेल्थ या एशियाड जैसी कोई बड़ी खेल प्रतियोगिता आयोजित होगी.
- यहाँ का होटल, रेस्टोरेंट, टैक्सी-कैब, गाइड, हैंडीक्राफ़्ट बिज़नेस, हर काम-कारोबार व अन्य सभी आर्थिक-सामाजिक गतिविधियाँ ठप्प हो जाने के कगार पर पहुँच जाएंगी.
- जब प्रदूषण की वजह से हवाई जहाज़ नहीं चलेंगे, ट्रेनें घंटों लेट होंगी, सड़क परिवहन असुरक्षित हो जाएगा, तो दिल्ली कौन आएगा.
- यहाँ तक कि इसका असर ये भी पड़ेगा कि लोग अपने बेटी-बेटे की शादी तय करने से पहले दिल्ली के हवा-पानी के बारे में सोचने लगेंगे.
- इसीलिए हर नागरिक के साथ हर स्कूल-कोचिंग, हर व्यापारी, हर कारोबारी, हर दुकानदार, हर रेहड़ी-पटरीवाले, हर घर-परिवार तक को ‘अरावली बचाओ’ अभियान का हिस्सा बनना चाहिए.
- हर चैनल, हर अख़बार को ये अभियान चलाना चाहिए, जो लोग सरकार की चाटुकारिता कर रहे हैं, वो भी समझ लें कि उनका स्वयं का जीवन भी ख़तरे में है.
अरावली को बचाना मतलब ख़ुद को बचाना है. अगर अरावली का विनाश नहीं रोका गया तो भाजपा की अवैध खनन को वैध बनाने की साज़िश और ज़मीन की बेइंतहा भूख देश की राजधानी को दुनिया की ‘प्रदूषण राजधानी’ बना देगी और लोग दिल्ली छोड़ने को बाध्य हो जाएंगे. इसीलिए आइए हम सब मिलकर अरावली बचाएं और भाजपा की गंदी राजनीति को जनता और जनमत की ताक़त से हराएं!
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