अरविन्द मिश्रा, बलौदाबाजार। बलौदाबाजार भाटापारा जिले में क्राईम अपराधों की जांच के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि मिली है, अब जिले में ही राज्य सरकार द्वारा फॉरेंसिक एक्सपर्ट की नियुक्ति की गई है. इस कदम से जिले की पुलिस को जांच के लिए राजधानी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, जिससे मामलों की जांच में तेजी आएगी और न्याय प्रक्रिया को बल मिलेगा. स्थानीय फॉरेंसिक विशेषज्ञ की उपलब्धता से पुलिस को मौके पर ही साक्ष्यों का विश्लेषण करने और साक्ष्य जुटाने में मदद मिलेगी, जिससे जांच की गुणवत्ता भी बेहतर होगी.
बता दें कि पहले, जिले में किसी भी अपराध के साक्ष्यों की फॉरेंसिक जांच के लिए रायपुर से टीम बुलानी पड़ती थी. जिनके द्वारा साक्ष्य जुटाने के बाद रायपुर भेजना पड़ता था, जो कि एक समय-साध्य प्रक्रिया थी. फॉरेंसिक टीम की नियुक्ति के बाद अब बलौदा बाजार में ही प्रारंभिक साक्ष्य जांच की जा सकेगी, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी. यह कदम खासकर हत्या, चोरी और यौन अपराधों जैसे गंभीर मामलों में महत्वपूर्ण साबित होगा, जहां तत्काल साक्ष्य जुटाना और उनका विश्लेषण करना आवश्यक होता है.
बलौदा बाजार में डॉक्टर स्वाति कुजूर की नियुक्ति सरकार के द्वारा की गई है. बलौदा बाजार अग्निकांड के बाद से ही बलौदा बाजार में फॉरेंसिक एक्सपोर्ट की जरूरत महसूस की जा रही थी, इस नियुक्ति के बाद पुलिस की जांच और न्यायालय में साक्ष्य प्रस्तुति के समय गंभीरता नजर आएगी. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने कहा कि फॉरेंसिक एक्सपर्ट की नियुक्ति होने के बाद पुलिस को साक्ष्य जुटाने में मदद मिल रही है, हाल फिलहाल में हुए कई गंभीर अपराधों में फोरेंसिक एक्सपर्ट मौके पर पहुंचकर पुलिस को साक्ष्य जुटाने में मदद की हैं. वहीं फोरेंसिक एक्सपर्ट डॉक्टर स्वाति कुजूर का कहना है कि घटना स्थल पर कई ऐसे साक्ष्य होते हैं जिन्हें एक्सपर्ट तरीके से कलेक्ट किया जाना जरूरी होता है. यह कोर्ट में मान्य होते हैं. नए कानून के तहत सरकार द्वारा राज्य के ज्यादातर जिलों में अब फोरेंसिक एक्सपर्ट की नियुक्ति की गई है जिससे पुलिस को कोर्ट में साक्ष्य प्रस्तुत करने पर सफलता मिलेगी.
नए कानून में फॉरेंसिक साक्ष्य है महत्वपूर्ण
देशभर में लागू नए तीनों कानून में फॉरेंसिक साक्ष्य को महत्वपूर्ण माना गया है. 1 जुलाई के बाद से होने वाले तमाम गंभीर अपराधों में फॉरेंसिक साक्ष्य को न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है, ऐसे में राज्य सरकार के तरफ से फॉरेंसिक टीम की नियुक्ति किए जाने से पुलिस को जांच में एक्सपर्ट व्यू के साथ ही साक्ष्य जुटाने में भी अब आसानी होगी.
स्निफर डॉग स्क्वाड की है कमी
फॉरेंसिक टीम की नियुक्ति से एक बड़ी समस्या का समाधान हो गया है, लेकिन अपराध जांच के लिए स्निफर डॉग स्क्वाड की अनुपलब्धता अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. बता दें कि बलौदाबाजार में पहले यह सुविधा थी, लेकिन बाद में डॉग की मौत के बाद न तो जिले के अधिकारियों ने इस और ध्यान दिया और न ही सरकार डॉग स्क्वाड की फिर से नियुक्ति की. बता दें कि स्निफर डॉग की मदद से घटनास्थल पर सुराग ढूंढने और संदिग्धों की पहचान करने में मदद मिलती है. डॉग स्क्वाड की अनुपस्थिति के कारण नशीले पदार्थों की तस्करी, चोरी, हत्या के मामलों की जांच प्रक्रिया में देरी होती है, जिससे अपराधियों को भागने का मौका मिल रहा है.
फॉरेंसिक लैब की जरूरत
जिले में अब भी अपनी फॉरेंसिक लैब का अभाव है. फॉरेंसिक लैब की स्थापना से जिले में आपराधिक मामलों की जांच में और अधिक सटीकता और दक्षता आ सकती है. वर्तमान में, जटिल साक्ष्य, जैसे डीएनए परीक्षण या बारीकी से विश्लेषण की आवश्यकता वाले साक्ष्यों के लिए रायपुर की लैब पर निर्भर रहना पड़ता है. अगर जिले में फॉरेंसिक लैब स्थापित की जाती है, तो जटिल मामलों में तेजी से साक्ष्य का परीक्षण संभव हो सकेगा.
सरकार और पुलिस से उम्मीदें बढ़ी
फॉरेंसिक टीम की नियुक्ति के बाद अब स्थानीय नागरिकों और पुलिस विभाग की अपेक्षाएं बढ़ गई हैं. पुलिस अधिकारियों का मानना है कि सरकार जल्द डॉग स्क्वाड और फॉरेंसिक लैब की स्थापना करे तो अपराधों की रोकथाम और जांच प्रक्रिया में सुधार होगा. इसके अलावा, प्रशासन से उम्मीद की जा रही है कि इन आवश्यकताओं को जल्द पूरा किया जाएगा ताकि बलौदा बाजार जिले को अपराध जांच में आत्मनिर्भर बनाया जा सके.
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