Loan Settlement Tips: आज की भाग दौड़ और चकाचौंध भरी जिंदगी में हर कोई अच्छी जिंदगी गुजारना चाहता है, लेकिन इसके लिए हर किसी के पास पैसे नहीं होते. ऐसे में उसे बैंक का रुख अपनाना पड़ता है. वहां से कर्ज लेकर भारी भरकम ब्याज के तले दब जाता है. अगर आप ऐसे ही कर्ज के बोझ तले दबे हैं, तो ये खबर आपके लिए है.

कैसे चुकाएं भारी भरकम कर्ज ?

बैंकिंग भाषा में इसे (Loan Settlement Tips) वन टाइम सेटलमेंट कहते हैं. वन टाइम सेटलमेंट के लिए बैंक और कर्जदार के बीच एक एग्रीमेंट होता है, जिसमें एक बार में एक तय रकम पर लोन सेटल किया जाता है. अगर आप भी लोन सेटलमेंट (Loan Settlement Tips) करने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो इस टिप्स को फॉलो करें.

इस तरह से लोन सेटलमेंट का प्रस्ताव रखें

आपको एक स्पष्टीकरण तैयार करना होगा कि बैंक आपको लोन सेटलमेंट की अनुमति क्यों दे. ऐसी स्थिति में आपके पास लोन सेटलमेंट (Loan Settlement Tips) के लिए कोई ठोस कारण होना चाहिए, ताकि बैंक आश्वस्त हो सके.

इसके बाद बैंक में जाकर बात करें (Loan Settlement Tips) और बताएं कि आप लोन चुकाने में सक्षम नहीं हैं, आप इसे सेटल करने के लिए तैयार हैं. इसके बाद लोन सेटलमेंट का प्रस्ताव रखें.

सेटलमेंट के लिए कम राशि की पेशकश करें

लेनदार हमेशा सेटलमेंट के दौरान आपसे जितना संभव हो सके उतना पैसा लेना चाहता है, इसलिए आपको सेटलमेंट के लिए बहुत कम राशि की पेशकश करनी चाहिए. आप अपनी बकाया राशि के 30% से बातचीत शुरू कर सकते हैं. हालाँकि, बैंक आपको इससे मना कर सकता है.

बैंक आपको लोन सेटलमेंट (Loan Settlement Tips) के लिए 80 प्रतिशत तक की राशि दे सकता है, लेकिन आपको अपनी समस्याओं को बताकर बैंक की सेटलमेंट राशि (Loan Settlement Tips) को 50 प्रतिशत तक लाने की कोशिश करनी होगी. अगर मामला सुलझ जाता है, तो लोन को 50 परसेंट पर फाइनल करें. इससे आपको बहुत राहत मिलेगी.

बैंक से यह अनुरोध करें

बातचीत के दौरान, लेनदार से आपको एक लिखित समझौता भेजने का अनुरोध करें कि आपके भुगतान से लोन के लिए आपकी (Loan Settlement Tips) कोई भी कानूनी जिम्मेदारी खत्म हो जाएगी.

Loan Settlement से लोन क्लोज नहीं होता

लोन सेटलमेंट से लोन बंद नहीं होता, सेटलमेंट लोन एक बीच का रास्ता होता है, जिस पर उधारकर्ता और बैंक दोनों सहमत होते हैं. लोन सेटलमेंट के समय डिफॉल्टर को बकाया मूलधन की पूरी राशि चुकानी होती है, लेकिन ब्याज की राशि के साथ-साथ पेनाल्टी और अन्य शुल्क आंशिक या पूरी तरह से माफ किए जा सकते हैं.

जब सेटलमेंट होता है, तो बैंक को वह पूरी राशि नहीं मिलती है जो उधारकर्ता को अपने लोन अवधि के दौरान चुकानी होती है. इसलिए, बैंक उधारकर्ता के क्रेडिट इतिहास में सेटलमेंट को दर्ज करता है. इससे पता चलता है कि उधारकर्ता के पास लोन चुकाने के लिए पैसे नहीं थे.

लोन सेटलमेंट के नुकसान

लोन सेटलमेंट के मामले में, यह माना जाता है कि उधारकर्ता के पास लोन चुकाने के लिए पैसे नहीं थे. ऐसी स्थिति में, उधारकर्ता का क्रेडिट स्कोर कम हो जाता है. यह 50 से 100 अंक या उससे भी अधिक हो सकता है.

यदि उधारकर्ता एक से अधिक क्रेडिट अकाउंट सेटल करता है, तो क्रेडिट स्कोर और भी कम हो सकता है. क्रेडिट रिपोर्ट के अकाउंट स्टेटस सेक्शन में अगले सात सालों के लिए लिखा हो सकता है कि उधारकर्ता का लोन सेटल हो गया है. ऐसी स्थिति में, अगले सात सालों तक फिर से लोन लेना लगभग असंभव हो जाता है. बैंक आपको ब्लैकलिस्ट भी कर सकता है.