प्रयागराज. प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या का अमृत स्नान (Mauni Amavasya Amrit Snan) का सिलसिला जारी है. सुबह 10 बजे तक 3.61 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई, जिनमें 10 लाख कल्पवासी भी शामिल हैं. अब तक कुल 21 करोड़ श्रद्धालुओं ने महाकुंभ में पवित्र स्नान किया है. संगम तट पर आस्था का यह विशाल सैलाब उमड़ रहा है और श्रद्धालु अपनी धार्मिक आस्था को लेकर स्नान कर रहे हैं. प्रशासन भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था में जुटा हुआ है.

वहीं मंगलवार शाम तक 4.64 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया. यह संख्या शाम 6 बजे तक दर्ज की गई थी. महाकुंभ में यह एक ऐतिहासिक दिन रहा, जब इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया.

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महाकुंभ में इस बार 45 करोड़ श्रद्धालुओं के पवित्र संगम में स्नान करने का अनुमान है. हर 12 साल बाद लगने वाले इस कुंभ में 144 साल बाद खास संयोग बन रहा है, क्योंकि अब तक 12 कुंभ पूरे हो चुके हैं. इसी वजह से इसे महाकुंभ कहा जा रहा है और इसमें आने वाला श्रद्धालुओं की संख्या पहले के किसी भी कुंभ से ज्यादा है. ऐसे में कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की गिनती के लिए यूपी सरकार ने हाईटेक उपकरणों का सहारा लिया है और इस बार AI बेस्ड कैमरे की मदद से लोगों की गिनती की जा रही है.

महाकुंभ क्यों मनाया जाता है

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश के लिए देवताओं और असुरों के बीच 12 दिन घमासान युद्ध हुआ. अमृत को पाने की लड़ाई के बीच कलश से अमृत की कुछ बूंदें धरती के चार स्थानों पर गिरी थीं. ये जगह हैं प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक. इन्हीं चारों जगहों पर कुंभ का मेला लगता है. जब गुरु वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं तब कुंभ मेला प्रयागराज में आयोजित किया जाता है. जब गुरु और सूर्य सिंह राशि में होते हैं, तब कुंभ मेला नासिक में आयोजित होता है. गुरु के सिंह राशि और सूर्य के मेष राशि में होने पर कुंभ मेला उज्जैन में आयोजित होता है. सूर्य मेष राशि और गुरु कुंभ राशि में होते हैं, तब हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है.