Sunita Williams Health Problem: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 9 महीने बाद धरती पर वापस लौट आए हैं। भारतीय समयानुसार आज तड़के 3:27 बजे स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के जरिए फ्लोरिडा के तट पर उनकी सफल लैंडिंग हुई। इनके साथ क्रू-9 के दो और एस्ट्रोनॉट अमेरिका के निक हेग और रूस के अलेक्सांद्र गोरबुनोव भी वापस लौटे। सुनीता विलियम्स का अंतरिक्ष मिशन 5 जून 2024 को शुरू हुआ था, जो केवल आठ दिनों का था। लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण वे 9 महीने तक अंतरिक्ष में फंसे रहे। इतने अधिक समय तक अंतरिक्ष में रहने के कारण सुनीता विलियम्स के हेल्थ पर बुरा असर पड़ा है। पृथ्वी पर लौटने के बाद हड्डी का घनत्व पूरी तरह से ठीक होने में सालों लग सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर धरती पर वापसी के बाद सुनीता विलियम्स को कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

अंतरिक्ष से धरती पर वापसी के बाद सबसे चिंता की बात हड्डियों और मांसपेशियों का कमजोर होना है। ISS में अंतरिक्ष यात्री माइक्रोग्रैविटी में तैरते हैं, जो उनके शरीर पर असर डालता है। पृथ्वी पर हमारे शरीर को हमेशा गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ काम करना पड़ता है, जिससे हमारी मांसपेशियों और हड्डियों को लगातार व्यायाम मिलता है। अंतरिक्ष में इस प्रतिरोध के बिना, मांसपेशियों की ताकत और हड्डियों का घनत्व घटने लगता है, क्योंकि शरीर को अपना वजन सहने की आवश्यकता नहीं होती।
अंतरिक्ष यात्री हर महीने अपनी हड्डियों का 1% हिस्सा खो सकते हैं। विशेष रूप से कमर, कूल्हे और जांघ की हड्डियों में। इससे पृथ्वी पर लौटने के बाद हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है। इसे कम करने के लिए अंतरिक्ष यात्री ISS में कड़ी कसरत करते हैं।
लंबे समय तक आईएसएस में रहने से अंतरिक्ष यात्री के हार्ट पर भी असर पड़ता है। पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण रक्त, पानी और लसिका द्रव को नीचे की ओर खींचता है, जिससे वे शरीर में समान रूप से वितरित होते हैं। वहीं माइक्रोग्रैविटी में, गुरुत्वाकर्षण नहीं होता, जिससे द्रव ऊपरी हिस्से की ओर खिसक जाते हैं। इससे चेहरे की सूजन, नाक में जाम और सिर में दबाव बढ़ सकता है। साथ ही, निचला शरीर कमजोर और पतला दिखने लगता है। इसे “पफी-हेड बर्ड-लेग सिंड्रोम” कहा जाता है।
लंबे समय तक दिखेंगे ये प्रभाव
अंतरिक्ष में उच्च-ऊर्जा कॉस्मिक रेडिएशन से कोई सुरक्षा नहीं होती। अंतरिक्ष यात्री सूर्य से उच्च स्तर की रेडिएशन का सामना करते हैं, जो पृथ्वी पर हर दिन एक सीने का एक्स-रे लेने के बराबर होता है। 9 महीने में, सुनीता विलियम्स ने लगभग 270 एक्स-रे के बराबर रेडिएशन का सामना किया। लंबे समय तक इस रेडिएशन के संपर्क में आने से प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो सकता है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
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