कानपुर. मुख्यमंत्री योगी के हस्तक्षेप के बाद डीएम जितेंद्र प्रसाद सिंह और सीएमओ हरिदत्त नेमी का विवाद खत्म हो गया है. सीएमओ हरिदत्त नेमी को सस्पेंड कर दिया गया है. ये मामला केवल ब्यूरोक्रेसी तक ही नहीं सियासी गलियारों में भी खूब चर्चा में है. ऐसे में सीएमओ के हटाए जाने के बाद शांत होने के आसार दिख रहा है. हरिदत्त नेमी की जगह श्रावस्ती में तैनात डॉ उदय नाथ को कानपुर सीएमओ की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
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बता दें कि कानपुर के पूर्व सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी ने सस्पेंशन के बाद जिला अधिकारी (DM) पर गंभीर आरोप लगाए हैं. डॉ. नेमी का दावा है कि डीएम ने पैसे की डिमांड की और कहा गया कि “सिस्टम में आओ”, वरना परेशानी झेलनी पड़ेगी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हर मीटिंग में जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर बेइज्जत किया गया. डॉ. नेमी ने कहा कि उन्होंने प्रमुख सचिव को इसकी जानकारी दी थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई.
कैसे शुरू हुआ था विवाद?
फरवरी में डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने सीएमओ कार्यालय का औचक निरीक्षण किया था. इस दौरान सीएमओ और कई अधिकारी नदारद मिले थे. इतना ही नहीं इसके बाद (सीएचसी) और (पीएचसी) का दौरा कर दस्तावेजों की जांच की. जांच में अनियमितताएं, चिकित्सा सेवाओं में कमी और कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई थी. उसके बाद डीएम ने सीएमओ के खिलाफ कार्रवाई करने और तबादले के लिए पत्र लिखा था.
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13 जून को डीएम से उन्नाव की फर्म मैसर्स बृजेश चंद्र के प्रोपराइटर ने शिकायत की थी. कमीशनखोरी के चलते जेएम फार्मा के खिलाफ भी साजिश रचने का आरोप लगाया था. इसके अलावा करोड़ों का भुगतान न करने का भी आरोप लगाया था. मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से भी की गई थी. आखिरकार शिकायतकर्ता राजेश शुक्ला ने कोर्ट की शरण ली थी. सप्लाई की गई जांच किट को बिना किसी लैब से जांच कराए घटिया बता दिया गया था. जिसके चलते भुगतान भी रोक दिया गया था. सिंडिकेट की फर्म को ठेका दिलाने के लिए जेएम फार्मा को ब्लैकलिस्टेड करने की साजिश रचने का आरोप है.
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एक ही जांच कमेटी की दो विरोधाभासी रिपोर्ट सामने आने के बाद सीएमओ द्वारा दबाव डालकर फर्जी रिपोर्ट तैयार कराने का आरोप लगाया गया है.
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