सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। उप मंत्रिमंडलीय समिति की नवा रायपुर के मंत्रालय में बैठक हुई. बैठक में जानकारी दी गई कि खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में किसानों से समर्थन मूल्य पर 149.25 लाख मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया गया है, जो राज्य गठन के पश्चात अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है. उपार्जित धान का कस्टम मिलिंग के माध्यम से त्वरित निराकरण किया जा रहा है.
खाद्य मंत्री दयालदास बघेल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक महानदी भवन, मंत्रालय, नवा रायपुर अटल नगर में आयोजित की गई. बैठक में कृषि मंत्री रामविचार नेताम, सहकारिता मंत्री केदार कश्यप, वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल एवं राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा उपस्थित थे. बैठक में धान खरीदी सहित अलग-अलग कोटा में उठाव सहित अन्य मुद्दों में चर्चा हुई.

भारत सरकार एवं नागरिक आपूर्ति निगम से प्राप्त चावल उपार्जन लक्ष्य के अतिरिक्त लगभग 35.00 लाख मीट्रिक टन अतिशेष धान के निराकरण हेतु मंत्रिपरिषद द्वारा ई-नीलामी (ई-ऑक्शन) के माध्यम से विक्रय का निर्णय लिया गया है. इस हेतु एम-जंक्शन प्लेटफॉर्म पर नीलामी की प्रक्रिया संपादित की गई.
प्रथम चरण की निविदा में प्राप्त दरों को मंत्रिमंडलीय उप समिति द्वारा 29 अप्रैल 2025 को अनुमोदित किया गया था. उक्त दरों पर लगभग 18.91 लाख मीट्रिक टन धान का सफलतापूर्वक निराकरण किया गया है. शेष स्टेकों के निराकरण हेतु उच्चतम बोली लगाने वाले निविदाकारों (H-1) एवं अन्य निविदाकारों को अनुमोदित दर पर प्राइस मेचिंग का अवसर प्रदान किया गया है, जिससे शासन द्वारा पारदर्शिता और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करते हुए अतिशेष धान का निराकरण अविलंब हो सके.
बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश के 78 संग्रहण केन्द्रों में कुल 31.48 लाख मीट्रिक टन धान का भंडारण किया गया है, जिसमें से लगभग 18.91 लाख मीट्रिक टन का निराकरण प्राइस मेचिंग एवं ऑक्शन के माध्यम से किया जा चुका है. वर्तमान में लगभग 12.57 लाख मीट्रिक टन धान का निराकरण शेष है. त्वरित उठाव सुनिश्चित करने हेतु सभी जिला विपणन अधिकारियों एवं संग्रहण केन्द्र प्रभारियों को आवश्यक निर्देश प्रसारित किए गए हैं.
बैठक में जानकारी दी गई कि निविदाकारों को एम-जंक्शन प्लेटफॉर्म पर पंजीयन उपरांत अमानत राशि जमा करने पर प्राइस मेचिंग करने का विकल्प उपलब्ध है. प्राइस मेचिंग करने की तिथि से 7 दिवस के भीतर निविदाकारों को सुरक्षा निधि के रूप में क्रय किए गए धान के कुल मूल्य की 3 प्रतिशत राशि जमा करनी होती है. तत्पश्चात निर्धारित अवधि के भीतर क्रेता को स्टेक का वास्तविक मूल्य ई-ऑक्शन प्लेटफॉर्म में जमा करना होता है. राशि विपणन संघ को प्राप्त होते ही क्रेता को लिफ्ट ऑर्डर जारी किया जा रहा है.
मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक में धान के त्वरित निराकरण के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. बैठक में निर्णय लिया गया कि ऐसे निविदाकार जिनके द्वारा ईआक्शन प्लेटफॉर्म में प्राइस मेचिंग के दौरान निर्धारित समय-सीमा में सुरक्षा निधि जमा नहीं किया जा सका है, अथवा धान का क्रय मूल्य (MVP) समय सीमा में जमा नहीं किया गया है अथवा विलंब से जमा किया गया है, उन्हें अब 15 जुलाई 2025 तक की अंतिम समय-सीमा प्रदान की गई है.
खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में चावल जमा हेतु शेष मात्रा के जमा करने हेतु अवधि को बढ़ाकर 5 जुलाई कर दिया गया है. प्रदेश के राइस मिलरों में शासन द्वारा लिए गए इन निर्णयों के प्रति उत्साह देखा गया है. छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन ने इस संबंध में खाद्य मंत्री दयालदास बघेल को धन्यवाद ज्ञापन भी सौंपा है.
प्राइस मेचिंग के दौरान मिलरों एवं क्रेताओं को आ रही तकनीकी समस्याओं के निराकरण एवं आवश्यक मार्गदर्शन हेतु महाप्रबंधक (विपणन) की अध्यक्षता में एक तकनीकी समिति का गठन भी किया गया है, जिससे समस्याओं का शीघ्र समाधान सुनिश्चित हो सके.
बैठक में बताया गया कि इसी अनुक्रम में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा केंद्रीय खाद्य मंत्री से भेंट कर खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान में से केंद्रीय पूल में चावल जमा करने का लक्ष्य 70 लाख मीट्रिक टन से अधिक बढ़ाने का अनुरोध किया गया है. इस पर भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के हित में सकारात्मक विचार करने का आश्वासन प्रदान किया गया है.
बैठक में खाद्य सचिव रीना बाबासाहेब कंगाले, वित्त सचिव मुकेश बंसल, उद्योग सचिव रजत कुमार, संचालक खाद्य, प्रबंध संचालक मार्कफेड तथा अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे.
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