Raja Raghuvanshi Murder Case: शिलांग में हुए देश के चर्चित राजा रघुवंशी मर्डर केस में हर खुलासे हो रहे हैं। इस सनसनीखेज मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी राज कुशवाह और आकाश के कब्जे से पुलिस ने एक पिस्टल, जिंदा कारतूस और 50 हजार रुपये कैश बरामद किए हैं, जो उनकी कार से मिले।

एजेंसी के अनुसार, ईस्ट खासी हिल्स के पुलिस अधीक्षक हर्बर्ट पिनयाड खारकोंगोर ने बताया कि शुरुआती पूछताछ में दोनों आरोपियों ने खुलासा किया कि हथियार उनके बैग में रखा हुआ था। पुलिस को इस सुराग के आधार पर आगे की कार्रवाई करने में मदद मिली। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए दोनों आरोपियों को पुलिस रिमांड पर लेकर आगे की गहन पूछताछ की जा रही है।

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पुलिस का मानना है कि इस हत्याकांड में सिर्फ हथियार या नकदी ही नहीं, बल्कि डिजिटल सबूत भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। पूछताछ में दोनों आरोपियों ने दावा किया कि उन्होंने इस्तेमाल किए गए लैपटॉप और अन्य सामग्री को फेंक दिया है, लेकिन पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वे चीजें कहां और कैसे नष्ट की गईं या कहीं सुरक्षित रखी गई हैं।

SP हर्बर्ट ने कहा कि हम इस बात की तह तक जाना चाहते हैं कि आरोपियों के पास और क्या-क्या सबूत हैं। उन्होंने कहा कि लैपटॉप फेंक दिए गए, लेकिन हम पूछताछ के जरिए सही स्थान का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।

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बयान से मुकरे दो आरोपी

राजा रघुवंशी हत्याकांड में आरोपियों ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना अपराध कबूल करने से इनकार कर दिया है। हालांकि, एसआईटी उनके खिलाफ पुख्ता सबूत होने की बात कह रही है। राजा रघुवंशी हत्याकांड की चल रही जांच में शिलांग शहर के पुलिस अधीक्षक और मेघालय एसआईटी प्रभारी हर्बर्ट पिनियाड खारकोंगोर ने कहा कि दो आरोपियों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था, लेकिन उन्होंने कोई भी इकबालिया बयान देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने सभी आरोपियों को मजिस्ट्रेट कार्यवाही के लिए नहीं भेजा था। सिर्फ आकाश और आनंद को भी पेश किया गया था। दोनों ने चुप रहने के अपने कानूनी अधिकार का प्रयोग करते हुए बयान नहीं देने का फैसला किया।

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मेघालय पुलिस कह रही-हमारे पास ठोस सबूत हैं

हर्बर्ट पिनियाड खारकोंगोर ने कहा कि एसआईटी ने जांच की शुरुआत से ही पर्याप्त और ठोस भौतिक साक्ष्य एकत्र किए हैं, जो मजबूत और स्वीकार्य हैं। जबकि पुलिस के सामने कबूलनामे अदालत में स्वीकार्य नहीं हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भौतिक साक्ष्य कानूनी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज बयान ही कोर्ट में मान्य

बीएनएसएस के तहत धारा 180 के तहत दर्ज किए गए बयान जांच और जिरह के दौरान सहायक होते हैं, लेकिन केवल बीएनएसएस की धारा 183 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए बयान ही अदालत में महत्वपूर्ण साक्ष्य रखते हैं। बता दें कि एसआईटी वर्तमान में चल रही जांच के हिस्से के रूप में फोरेंसिक प्रयोगशाला की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।

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