हार्पी, हेरॉन और रुस्तम, भारतीय ड्रोन कितने पावरफुल?
भारत के ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान बौखला गया है.
उसने आनन-फानन में भारत पर ड्रोन से हमले करने शुरू कर दिए, जवाबी कार्रवाई में भारत भी अपने ड्रोन के जरिए पाकिस्तानी सेना को निशाना बना रहा है.
जानते हैं कि भारत के पास कितनी तरह के ड्रोन हैं और इनकी खासियत क्या है?
आधुनिक समय में युद्ध में ड्रोन अहम भूमिका निभा रहे हैं. ड्रोन अपनी उपयोगिता के अनुसार सेंसर और पेलोड से लैस होते हैं. कैमरे, रडार और हथियारों से लैस कर इन्हें इस्तेमाल किया जाता है.
भारत के पास अलग-अलग प्रकार के तमाम ड्रोन हैं, कुछ ड्रोन का इस्तेमाल निगरानी और जासूसी के लिए किया जाता है, तो कुछ ड्रोन का इस्तेमाल हमले में किया जाता है.
स्वदेशी ड्रोन के में रुस्तम, रुस्तम 2, निशांत और गगन शामिल हैं. वहीं, आयातित ड्रोन में हेरॉन और हर्मीस 900 के नाम लिए जा सकते हैं.
रुस्तम ड्रोन
इजराइल से हासिल किया गया हेरॉन ड्रोन इतना शक्तिशाली है कि इसका इस्तेमाल सर्जिकल स्ट्राइक तक में किया जा सकता है.
हेरॉन ड्रोन
भारत से पास हेरॉन मार्क-2 है. यह करीब 32 हजार फुट की ऊंचाई पर एक बार में लगातार 24 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भर सकता है.
इसकी अधिकतम सीमा करीब तीन हजार किमी है और यह अधिकतम 250 किलो तक वजन का पेलोड ले जा सकता है.
हार्पी ड्रोन का इस्तेमाल भारत ने पाकिस्तान के लाहौर में स्थित एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह करने में किया है.
हार्पी ड्रोन
इस ड्रोन का उन्नत संस्करण 500 से 1000 किमी तक की दूरी तय कर सकता है और 185 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ने में सक्षम है.
यह दिन और रात किसी भी समय नौ घंटे तक उड़ान भर सकता है. यह 32 किलो तक का हथियार ले जा सकता है.
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