पटना। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह रविवार को पटना में सदाकत आश्रम में पत्रकारों से रूबरू हुए। उन्होंने बिहार की राजनीतिक, शैक्षणिक और प्रशासनिक हालात पर तीखा हमला बोला। शनिवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मुलाकात के बाद दिग्विजय सिंह ने INDIA गठबंधन की आपात बैठक बुलाने की मांग की।
न्यायालय का खटखटाएंगे दरवाजा
उन्होंने कहा कि गठबंधन के सभी दलों को एकजुट होकर चुनाव आयोग से मिलना चाहिए और अगर आयोग संतोषजनक जवाब नहीं देता है तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा। उनका आरोप था कि देश में चुनाव आयोग अब निष्पक्ष संस्था न रहकर सत्ताधारी दल के हित में फैसले ले रहा है।
SIR सर्वे को लेकर उठे सवाल
बिहार में चल रहे सामाजिक-आर्थिक पुनरीक्षण (SIR) को लेकर दिग्विजय सिंह ने गहरी आपत्ति जताई। उन्होंने सवाल किया कि जब 2003 में यही प्रक्रिया पूरी होने में दो साल लगे थे, तो अब सिर्फ 25 दिन में आठ करोड़ लोगों की गिनती कैसे की जा सकती है? उन्होंने कहा कि वर्षों से वोट डालते आ रहे लोगों को अब अपनी नागरिकता का प्रमाण देने को कहा जा रहा है, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत हैं।
चरमराई हुई है शिक्षा व्यवस्था
दिग्विजय सिंह ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था को देश में सबसे बदहाल बताते हुए कहा कि कभी नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों के लिए प्रसिद्ध यह प्रदेश आज न्यूनतम नामांकन दर (Gross Enrollment Ratio) वाला राज्य बन गया है। उन्होंने बताया कि बिहार की GER महज़ 30% है, जबकि राष्ट्रीय औसत 56.2% है।उन्होंने कहा कि “100 में से सिर्फ 30 बच्चे स्कूल जा पा रहे हैं। आठवीं के बाद सिर्फ 45.6% और दसवीं के बाद सिर्फ 20% बच्चे ही आगे पढ़ाई के लिए नामांकन कर पाते हैं।”
कई स्कूलों में बिजली नहीं
इसके अलावा उन्होंने बताया कि राज्य के 78,000 स्कूलों में से केवल 5,000 में ही कंप्यूटर हैं और करीब 16,500 स्कूल ऐसे हैं जहां बिजली नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 117 स्कूलों में एक भी छात्र नामांकित नहीं है, फिर भी वहां 544 शिक्षक तैनात हैं और वे वेतन ले रहे हैं।
NEET और भर्ती परीक्षाओं में घोटाले का आरोप
दिग्विजय सिंह ने यह भी दावा किया कि NEET घोटाले की जड़ बिहार में है। उन्होंने कहा कि पिछले सात वर्षों में दस से अधिक प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक के मामले सामने आ चुके हैं। 2017 में सिपाही भर्ती परीक्षा में भी व्यापक पैमाने पर घोटाला हुआ था, जिसकी जांच आज तक लंबित है।
उनका कहना था कि बिहार में यह एक संगठित घोटाला बन चुका है और सरकार के संरक्षण में पेपर माफिया सक्रिय हैं। भाजपा-जदयू गठबंधन की सत्ता में भ्रष्टाचार को खुला समर्थन मिला हुआ है।
INDIA गठबंधन की रणनीति तय करने की जरूरत
उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले INDIA गठबंधन को एकजुट होकर रणनीति बनानी होगी। मैंने लालू प्रसाद यादव से आग्रह किया है कि वह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से बात करें और गठबंधन की आपात बैठक बुलवाएं।
बिहार चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले दिग्विजय सिंह के इन बयानों ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है। जहां भाजपा-जदयू गठबंधन सरकार की कार्यप्रणाली पर सीधा सवाल उठाया गया, वहीं विपक्ष ने प्रशासनिक संस्थाओं की निष्पक्षता को भी कठघरे में खड़ा किया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि INDIA गठबंधन इस मोर्चे पर क्या रुख अपनाता है।
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