(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

चर्चा में आईपीएस का ट्रांसफर

मध्य प्रदेश के आईपीएस अफसर राहुल लोढ़ा का ट्रांसफर चर्चा का विषय बना हुआ है, इस पर सियासत भी जमकर हो रही है। रतलाम मे हुए घटनाक्रम के बाद राहुल लोढ़ा का ट्रांसफर किया गया। इस मामले में ओवैसी और दिग्विजय सिंह की एंट्री ने मामले को राजनैतिक बना दिया। इसके बाद बीजेपी  के कई नेता और  हिंदूवादी संगठन मुखर हो गए है और राहुल लोढ़ा की बर्खास्तगी की मांग कर रहे है। राहुल लोढ़ा ने बतौर आइपीएस अधिकारी अब तक अच्छा काम किया है और प्रदेश में अच्छे अधिकारी तौर पर पहचान बनाई है। रतलाम की घटना के बाद जिस तरीके से उन्हें सियासी तौर पर निशाने पर लिया जा रह है वह दुखद है। 

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दिल्ली से मिला सहारा, मुख्य सचिव की दौड़ में सबसे आगे

मध्यप्रदेश में मुख्य सचिव को लेकर कई नाम चल रहे हैं, लेकिन दौड़ में इस वक्त दिल्ली डेपुटेशन पर गए मध्य प्रदेश कैडर के एक अधिकारी का नाम इस लिस्ट में सबसे आगे है।  बताया जाता है कि पिछली बार भी साहब आखिरी वक्त पर चूक गए थे। लेकिन इस बार दिल्ली दरबार से भी उनको सहारा मिल रहा है। इनके अलावा  मध्यप्रदेश के दो प्रमुख अफसर भी इस रेस में लॉबिंग करते हुए नजर आ रहे हैं। अब देखते है किसकी किस्मत खुलती है। 

18 नामों में किस-किसका नाम

मध्य प्रदेश में निगम-मंडलों में नियुक्तियों को लेकर 18 नामों की सूची की जोर-शोर से चर्चा चल रही है। सरकारी पदों के दावेदारों के बीच चर्चा है कि सरकार को यह सूची संगठन की ओर से भेजी गई है। दावेदार अपने-अपने सूत्र खंगालने में लगे हुए हैं कि आखिर इस लिस्ट में उनका नाम है कि नहीं। 18 नामों की सूची में एक नाम कांग्रेस से आए कद्दावर नेता का बताया जा रहा है। बाकी नामों का पता लगाने के लिए दावेदारों ने अययार छोड़ रखे हैं। 

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अपरिहार्य कारणों के चलते बैठक टाल दी गई है

बैठक के एक दिन पहले अधिकारी समीक्षा करते हैं कि तैयारियां पूरी हो गई हैं क्या। अगले दिन सुबह से सब बैठक में जाने की तैयारियों में जुट जाते हैं और अचानक जानकारी मिलती है कि बैठक टाल दी गई है। राजधानी भोपाल की जिला योजना समिति की बैठक को लेकर ऐसा तीन बार हो गया है। पहले बैठक 30 अगस्त को आहूत की गई। बैठक टली तो अगली तारीख 4 सितंबर तय हुई, लेकिन इस दिन भी बैठक नहीं हो सकी। लगे हाथ नई तारीख 6 सितंबर तय की गई, लेकिन समीकरण ऐसे बने कि इस दिन भी बैठक निरस्त करना पड़ी अब अगली तारीख के इंतजार के साथ चर्चा चल रही है कहीं ऐसा न हो कि अगली तारीख के दिन भी मैसेज आए कि अपरिहार्य कारणों के चलते बैठक टाल दी गई है। 

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