भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्य प्रदेश में 8 दिसंबर को गीता जयंती और 8 से 11 दिसंबर की अवधि में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के सभी कार्यक्रम व्यवस्थित और नागरिकों की सहभागिता के साथ सम्पन्न किए जाएं। भगवान श्रीकृष्ण सांदीपनि आश्रम उज्जैन में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आए थे। इस नाते प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर गीता जयंती मनाए जाने का निर्णय लिया गया। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के विविध पक्षों और श्रीमद्भागवत गीता के सार्थक संदेशों से नागरिकों को अवगत करवाने के लिए गीता जयंती के अंतर्गत हो रही गतिविधियों को अभिनव स्वरूप दिया जाए।

सोमवार को सीएम डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में गीता जयंती एवं तानसेन महोत्सव की तैयारियों की समीक्षा की। इस दौरान अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में गीता जयंती के प्रदेश व्यापी कार्यक्रम किए जाने का अपना विशेष महत्व है। भगवान श्री कृष्ण ने न सिर्फ मध्यप्रदेश के उज्जैन बल्कि अन्य स्थानों पर जाकर उस दौर में मानव जीवन को सार्थक बनाने का अनमोल संदेश दिया। उन्होंने कर्म, अनुशासन और उस युग में भी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन कर सम्पूर्ण समाज के लिए अनूठे दृष्टांत प्रस्तुत किए थे। अर्जुन एक प्रतीक थे, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जित शिक्षा, ज्ञान के आधार पर विभिन्न सिद्धांतों को पहले स्वयं आत्मसात किया, इसके पश्चात उनका प्रचार -प्रसार किया। उन्होंने युद्ध में अपने पक्ष की क्षति भी स्वीकार की।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में भगवान कृष्ण का जिन स्थानों पर आगमन हुआ था वे तीर्थ के रूप में विकसित किए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश से संबंधित भगवान श्री कृष्ण की समस्त स्मृतियों को बनाए रखने और जन-जन को उसकी जानकारी देने का यह विशेष अवसर है। गीता जयंती और अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के कार्यक्रम यादगार बन जाएं, ऐसी रचना की जाए। इस्कॉन संस्था के सहयोग से गीता के संदेशों का विद्यार्थियों में प्रचार और ज्ञान परीक्षा का आयोजन भी सराहनीय है। शासकीय विभागों और स्थानीय प्रशासन द्वारा गीता जयंती से जुड़े कार्यक्रमों को सफल बनाने के सभी प्रयास किए जाएं। सीएम ने तानसेन संगीत समारोह की तैयारियों की जानकारी भी प्राप्त की और तानसेन के जीवन के भिन्न-भिन्न पहलुओं का विवरण भी मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों में हो रहे तानसेन समारोह में देने के निर्देश दिए।

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में बनेंगे विश्व रिकार्ड

बैठक में जानकारी दी गई कि महाराज विक्रमादित्य शोध पीठ, प्रशासन के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 8 से 11 दिसंबर 2024 को उज्जैन में आयोजित करेगी। भोपाल के मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में 11 दिसंबर को गीता का सस्वर पाठ करने के लिए हजारों आचार्य उपस्थित होंगे। गीता स्वर पाठ में शामिल होने वाले आचार्यों की संख्या का पूर्व का रिकार्ड 1350 आचार्यों द्वारा गीता पाठ करने का रहा है। मध्यप्रदेश इस रिकार्ड को तोड़कर नया रिकार्ड बनाएगा। इस अवसर पर साधो बैंड, वृंदावन की सांस्कृति प्रस्तुति भी होगी। गौ एवं गोवर्धन आधारित और श्रीमद्भागवत गीता पुराण आधारित प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। इसके अलावा कुरूक्षेत्र हरियाणा में आयोजित तीन दिवसीय गीता जयंती कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 9 दिसंबर को शामिल होंगे। उज्जैन में गीता संवाद में 8 दिसंबर को प्रख्यात गीतकार श्री मनोज मुन्तशिर शुक्ला का गीता संवाद और गुरू दक्षिणा के अंतर्गत श्री कृष्ण और गुरू सांदीपनि पर आधारित महानाट्य एवं डिजिटल प्रस्तुति होगी।

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इसी तरह 9 दिसंबर को श्री कृष्ण आधारित महानाट्य कृष्णायन की प्रस्तुति होगी। उज्जैन में ही दिनांक 10 और 11 दिसंबर को गीता संवाद के अंतर्गत स्वामी सरस्वती द्वारकापीठ सहित प्रमुख आध्यात्मिक विभूतियां भागीदारी करेंगी। अन्य देशों से इस्कॉन प्रतिनिधि और विभिन्न विद्वानों के व्याख्यान भी होंगे। उज्जैन में 10 दिसंबर को प्रख्यात शास्त्रीय गायिका कलापिनी कोमकली शास्त्रोक्त श्री कृष्ण भजन प्रस्तुत करेंगी। कुमार शर्मा अपने साथी कलाकारों के साथ सांगीतिक प्रस्तुति देंगे। 11 दिसंबर को पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए शासकीय विश्राम गृह और निजी होटलों में गीता और रामायण की प्रतियां उपलब्ध करवाई जाएंगी। इस अवसर पर उज्जैन में मोटिवेशनल स्पीकर विवेक बिन्द्रा का व्याख्यान और भारत परम्परा के विविध आयाम- शिवगीता, गणेश गीता, राम गीता सहित कुछ अन्य प्रकाशनों का लोकार्पण होगा।

अन्य देशों और प्रदेशों में भी तानसेन समारोह की गूंज पहुंचेगी

इस बैठक में बताया गया कि प्रदेश के ग्वालियर में तानसेन संगीत समारोह का यह सौवां वर्ष है। वर्ष 1924 से शुरू यह समारोह इस वर्ष 15 से 19 दिसंबर तक हो रहा है। समारोह को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप देते हुए जापान, इजराइल फ्रांस और इटली में कार्यक्रम भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के माध्यम से संयोजित किए जा रहे हैं। इस वर्ष राष्ट्रीय सम्मान अलंकरण में राष्ट्रीय तानसेन सम्मान पंडित स्वपन चौधरी, कोलकाता और राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान सानंद न्यास इंदौर को दिया जा रहा है। ग्वालियर में पूर्व रंग के अंतर्गत 14 दिसंबर को दुर्लभ वाद्यों सुरबहार, विचित्रवीणा, मोहन वीणा, नालतरंग, आदि की प्रस्तुति ग्वालियर किले, बाड़ी के टाउन हाल, जय विलास पैलेस और अन्य स्थानों पर होंगी। देश के अनेक ख्याति प्राप्त कलाकार इन में हिस्सा लेंगे। इस वर्ष मध्यप्रदेश के विभिन्न नगरों में भी समारोह के अंतर्गत सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और संगोष्ठियां हो रही हैं।

ग्वालियर में मुख्य समारोह में राष्ट्रीय तानसेन सम्मान अलंकरण भी प्रदान किए जाएंगे। अन्य गतिविधियों में दैनिक सांगीतिक सभाएं, डाक टिकट विमोचन, प्रदर्शनी और लाइव चित्रांकन सत्र हो रहे हैं। राजधानी भोपाल सहित रीवा, गुना, शिवपुरी और ओरछा में विविध आयोजन हो रहे हैं। भोपाल में 4 से 8 दिसंबर तक भारत भवन में संगीत सम्राट तानसेन एवं मूर्धन्य संगीतकारों पर केंद्रित पांच फिल्में तानसेन, मीरा, संत ज्ञानेश्वर, चिंतामणि सूरदास, और ध्रुपद बैजू बावरा, स्वामी हरिदास के प्रदर्शन होंगे। रीवा में 5 दिसंबर गुना में 6 दिसंबर, शिवपुरी और ओरछा में 7 दिसंबर को उच्च शिक्षण संस्थाओं के सहयोग से संगीत श्रृंखला हो रही है।

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