दिल्ली पुलिस ने फर्जी सरकारी नौकरी भर्ती गिरोह का भंडाफोड़ किया है। मामले में सरगना सहित दो लोगों को गिरफ्तारी गुई हुई है। पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी की पहचान हैदराबाद निवासी राशिद चौधरी के रूप में हुई है। ठगों का यह गिरोह बेरोजगार युवाओं को अपना शिकार बनाते थे और उनसे पैसे ऐंठते थे।
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सरकारी योजना के नाम पर ठगी
पुलिस के अनुसार आरोपी चौधरी ने राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं मनोरंजन मिशन (एनआरडीआरएम) नाम का इस्तेमाल कर साइबर ठगी की और एनआरडीआरएम को ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत एक सरकारी निकाय के रूप में गलत तरीके से पेश किया।
बेरोजगार होते थे असली टारगेट
पुलिस उपायुक्त (नयी दिल्ली) देवेश कुमार महला ने एक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘यह मामला 22 मार्च को ग्रामीण विकास मंत्रालय से मिली एक शिकायत के बाद सामने आया, जिसमें बताया गया था कि नौकरी चाहने वालों को गुमराह करने के लिए केंद्रीय मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों की तस्वीरों वाली दो अलग-अलग फर्जी वेबसाइट पर फर्जी भर्ती विज्ञापन दिये गए थे।”
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पंजीकरण शुल्क से ही कमाए लाखों रूपए
देवेश कुमार ने कहा कि इस धोखाधड़ी में, आवेदकों से 299 रुपये से लेकर 399 रुपये तक का पंजीकरण शुल्क वसूला गया। महला ने कहा कि इस सिलसिले में एक प्राथमिकी दर्ज कर जांच की जा रही है। जांच के दौरान, धोखाधड़ी वाली वेबसाइट में एक क्यूआर कोड असम के एक बैंक खाते से जुड़ा पाया गया। पुलिस उपायुक्त ने कहा कि नकदी निकासी का पता लगाने के लिए सौ से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाली गई, जिसके बाद पुलिस पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर इलाके में पहुंची, जहां संदिग्धों की मौजूदगी की पुष्टि हुई।
आदतन साइबर अपराधी है चौधरी
इसके बाद पुलिस द्वारा 18 मई को छापेमारी की गई, जिसके परिणामस्वरूप असम के इकबाल हुसैन (27) को गिरफ्तार किया गया, जिसने गिरोह के लिए पैसे निकालने की बात कबूल की। उसके खुलासे के आधार पर पुलिस ने बाद में उसी इलाके में एक अलग फ्लैट से राशिद चौधरी को गिरफ्तार किया। पुलिस उपायुक्त ने कहा, ‘‘चौधरी आदतन साइबर अपराधी है और इस गिरोह का सरगना है। वह वेब डेवलपर और सिम खरीदने वालों से जुड़ा एक नेटवर्क संचालित करता था।
पुलिस ने अपराध में इस्तेमाल की गई छह फर्जी वेबसाइट की पहचान करने के अलावा 11 मोबाइल फोन, 15 सिम कार्ड, 21 चेक बुक, 15 डेबिट कार्ड, एक पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीन, चार नकली मुहर और पांच वाई-फाई डोंगल जब्त किए हैं। धोखाधड़ी से जुड़े अन्य पीड़ितों और सह-आरोपियों का पता लगाने के लिए जांच जारी है।
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