रायपुर। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने अपनी दूरदर्शिता से प्रदेश को हर दिशा से समृद्ध और आगे बढ़ाने का काम किया है। सुदूर बस्तर अंचल का हर छोटा बड़ा हिस्सा भी आज राज्य की साय सरकार के सुशासन में विकास की मुख्य धारा से जुड़ने लगा है। इसी तारतम्य में छत्तीसगढ़ राज्य की एक महत्वाकांक्षी और बहुउद्देशीय बोधघाट सिंचाई परियोजना को भी संवारा जा रहा है। जिसका उद्देश्य बस्तर क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देना है।


कब हुई थी शुरू बोधघाट परियोजना
बोधघाट परियोजना की आधारशिला 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई द्वारा रखी गई थी। प्रारंभ में इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित बोधघाट जलविद्युत परियोजना का उद्देश्य 125 मेगावाट बिजली उत्पादन करना था। राज्य में इन्द्रावती नदी कुल 264 किमी में प्रवाहित होती है। यह परियोजना दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड एवं तहसील गीदम के ग्राम बारसूर से लगभग 8 किमी एवं जगदलपुर शहर से लगभग 100 किमी दूरी पर प्रस्तावित है।

बहाल हुई, रुकी पड़ी बोधघाट परियोजना
बोधघाट परियोजना के क्रियान्वयन में आने वाली कई बाधाओं ने इस पर विराम लगा दिया था। कुछ प्रमुख बाधाएं इस प्रकार थी जैसे बोधघाट परियोजना से लगभग 13,783 हेक्टेयर भूमि डूब क्षेत्र में आ रही थी जिसमें 5,704 हेक्टेयर घने जंगल भी शामिल थे। इससे जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका थी। बोधघाट परियोजना के लिए प्रस्तावित बांध से कई आदिवासी गांवों के डूबने लगे थे जिससे विस्थापन और सामाजिक असंतोष की स्थिति उत्पन्न होने का खतरा हुआ। इसके अलावा बस्तर क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों के कारण सुरक्षा संबंधी बड़ी चुनौती थी, जिससे परियोजना के कार्यान्वयन में कठिनाई होने लगी थी। इन तमाम कारणों की वजह से बोधघाट परियोजना को 1994 में वन स्वीकृति नहीं मिल सकी और यह लंबे समय तक ठप्प रही। मगर राज्य की साय सरकार ने इस परियोजना को पुनर्जीवन देकर बस्तर को निहाल किया है। बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना में लगभग 29 हजार करोड़ रुपये की लागत संभावित है, जिसमें हाइड्रोपावर इलेक्ट्रो मैकेनिकल कार्य, सिविल कार्य (सिंचाई) भी शामिल हैं। इस परियोजना में उपयोगी जल भराव क्षमता 2009 मि.घ.मी, कुल जल भराव क्षमता 2727 मि.घ.मी, पूर्ण जल भराव स्तर पर सतह का क्षेत्रफल 10440 हेक्टेयर सम्भावित है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा उठाए गए सार्थक कदम
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बोधघाट परियोजना को पुनः सक्रिय करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर बोधघाट परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने और उस पर शीघ्र क्रियान्वयन की मांग की। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए सफल रणनीति तैयार की गई है। परियोजना के कार्यान्वयन में आने वाली बाधाओं को बहुत तेज़ी से दूर किया जा रहा है। बोधघाट परियोजना से प्रभावित आदिवासी समुदायों के लिए उचित पुनर्वास और मुआवजे की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं।
बोधघाट परियोजना से संभावित लाभ
बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना से संभाग में सिंचाई साधनों का दायरा बढ़ने के साथ ही बस्तर के विकास को दो गुनी रफ्तार मिलेगी। बोधघाट परियोजना से खरीफ एवं रबी मिलाकर लगभग 3,78,475 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी, भरपूर सिंचाई से क्षेत्र के कृषि जगत में आमूलचूल परिवर्तन आएगा। परियोजना से 49 मिलियन क्यूबिक मीटर पेयजल आपूर्ति संभव होगी, जिससे स्थानीय निवासियों को लाभ मिलेगा। इस परियोजना से 125 मेगावाट बिजली उत्पादन की जाएगी जो सुदूर बस्तर को और भी ऊर्जावान बनाएगा। बांध के जलाशय में 4824 टन वार्षिक मत्स्य उत्पादन की नई आशाओं के साथ ही साथ यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं भी विकसित होंगी। कहा जा सकता है कि बोधघाट परियोजना से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और बस्तर क्षेत्र का समग्र आर्थिक विकास संभव होगा। परियोजना के सफल क्रियान्वयन के लिए पर्यावरणीय संतुलन, आदिवासी समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा और जन-जन की सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करना आवश्यक है।
बोधघाट परियोजना को लेकर सारा प्रदेश आशान्वित है कि यह बस्तर के चहुमुखी विकास के लिए अहम साबित होगी। बस्तर संभाग लंबे समय से नक्सल प्रभावित रहा है, इसी वजह से संभाग सिंचाई साधनों के विकास में पिछड़ गया है। संभाग में सिंचाई साधनों की समस्या को दूर करने और चहुंमुखी विकास को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना पर काम कर रही है।
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