राजधानी में बोतलबंद पानी की मांग में भी तेजी आई है, जिससे कुछ लोग इस अवसर का लाभ उठाकर नकली पानी की बोतलों की आपूर्ति करने लगे हैं. दिल्ली के उत्तर-पश्चिम जिले की डिस्ट्रिक्ट इंटेलिजेंस यूनिट (डीआईयू) ने शकूरपुर क्षेत्र में नकली ‘Bisleri’ पानी की बोतलें बनाने वाले एक गिरोह का खुलासा किया है. पुलिस ने एक मामले में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, जिनके पास से नकली बिसलेरी से संबंधित सामग्री और उपकरणों की बड़ी मात्रा बरामद हुई है. गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान शकूरपुर निवासी सिकंदर और आशीष के रूप में हुई है.
पुलिस के अनुसार, ये दोनों पिछले एक वर्ष से इस अवैध गतिविधि में संलग्न थे और एक अस्थायी भवन में नकली बोतलबंद पानी का उत्पादन कर रहे थे. 18 जून को सुभाष प्लेस थाने में कॉपीराइट अधिनियम की धारा 63/65 के तहत मामला दर्ज किया गया, जिसके बाद पुलिस ने बीस लीटर की नकली पानी की बोतलें जब्त कीं.
आरोपियों के पास से कई सामान बरामद हुए हैं, जिनमें 127 नकली बिसलेरी स्टिकर, 55 नकली बोतलों के ढक्कन, 387 बारकोड, 26 नकली 20 लीटर पानी की बोतलें, सात हीटर गन और लाइटर शामिल हैं. इन सामग्रियों का उपयोग बोतलों पर नकली लेबल, कैप और बारकोड लगाने के लिए किया जाता था, जिससे वे असली प्रतीत हों. इस प्रकार की गतिविधियाँ न केवल उपभोक्ताओं को धोखा देती हैं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न करती हैं. पुलिस की जांच में यह भी पता चला है कि विशाल गुप्ता नामक व्यक्ति आरोपियों को अवैध बोरिंग के माध्यम से पानी की आपूर्ति करता था, जिसे नकली बोतलों में भरा जाता था. पुलिस अब उसकी तलाश कर रही है और संभावित ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है. अधिकारियों के अनुसार, इस गिरोह का नेटवर्क राजधानी के अन्य क्षेत्रों और आसपास के शहरों में भी फैला हो सकता है.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ब्रांड प्रतिनिधियों की शिकायतों के आधार पर एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है. विभिन्न कंपनियों के प्रतिनिधियों ने नकली बोतलबंद पानी और लेबल के संबंध में शिकायतें दर्ज करवाईं, जिसके बाद उत्तर-पश्चिम जिले की डीआईयू यूनिट ने जांच शुरू की. तकनीकी निगरानी और गुप्त सूचनाओं के आधार पर शकूरपुर क्षेत्र में छापेमारी की गई. पुलिस अब इस गिरोह के नेटवर्क को उजागर करने में जुटी हुई है.
नकली बोतलबंद पानी से हो सकते हैं बीमार
पेट की बीमारियों में दस्त, उल्टी, पेट दर्द और फूड पॉइजनिंग जैसी समस्याएं शामिल हैं, जो स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं. इसके अलावा, संक्रामक रोगों का खतरा भी बढ़ता है, जैसे हैजा, टाइफाइड और हेपेटाइटिस ए/ई, जो व्यापक रूप से फैल सकते हैं. खतरनाक रसायनों का सेवन लीवर, किडनी और नर्वस सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिससे ये समूह अधिक संवेदनशील बन जाते हैं. अंत में, माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी हॉर्मोनल असंतुलन और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती है, जो समग्र स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है.
अन्य ब्रांड के नाम पर भी होता था फर्जीवाड़ा
आरोपियों ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि वे केवल बिसलेरी के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य प्रसिद्ध ब्रांडों के नाम से भी नकली लेबल और टैग बनाते थे, जिन्हें वे असली उत्पाद के रूप में बाजार में बेचते थे. उनका मुख्य उद्देश्य अधिक लाभ कमाना था, लेकिन इस प्रक्रिया में न केवल ट्रेडमार्क अधिनियम का उल्लंघन हो रहा था, बल्कि उपभोक्ताओं की सुरक्षा भी खतरे में पड़ रही थी.
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