Pro Jihadi Slogans In Dhaka: बांग्लादेश (Bangladesh) में शेख हसीना (Sheikh Hasina ) सरकार के गिरे हुए एक साल होने वाला है। 5 अगस्त 2024 को कट्टरपंथिय़ों ने छात्र आंदोलन के दम पर शेख हसीना की सरकार को पलट दिया था। हसीना की सरकार गिरने के बाद प्रतिबंधित इस्लामी संगठनों की गतिविधियां फिर से सार्वजनिक हो गई हैं। मोहम्मद युनुस सरकार कट्टरपंथी ताकतों के आगे नतमस्तक है। इसका नजारा बांग्लादेश की राजधानी ढाका में देखने को मिला है। ढाका में मस्जिद से लेकर सड़कों तक आतंकी जिहाद का नारा लगा रहे हैं। खुद को “मिलिटेंट” बताते हुए कह रहे हैं कि हम जिहादी, हमें जिहाद में जीना है है।
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शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद ढाका की राष्ट्रीय मस्जिद बैतुल मुकर्रम के प्रांगण में हिज्ब उत-तहरीर, विलायाह बांग्लादेश, अंसार अल-इस्लाम और जमात-ए-इस्लामी जैसे इस्लामी जिहादी संगठनों के सदस्यों ने खुलकर ‘जिहाद’ के समर्थन में नारे लगाए और खुद को “जिहादी” बताया।जमात-ए-इस्लामी की ढाका रैली के चलते देशभर से समर्थकों की भीड़ राजधानी में जुट रही है।
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पूर्ववर्ती आवामी लीग सरकार के दौरान इन संगठनों को देशव्यापी बम धमाकों और आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के चलते प्रतिबंधित किया गया था। हालांकि, कागजों में ये संगठन अब भी प्रतिबंधित हैं, लेकिन व्यावहारिक तौर पर ये खुलेआम स्लोगन और पोस्टर के जरिए से सक्रिय हो गए हैं।
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300 से अधिक मिलिटेंट्स जेल से बाहर आए
5 अगस्त को सत्ता परिवर्तन के बाद, रिपोर्ट के मुताबिक सैकड़ों ऐसे लोग जिन्हें आतंकवाद से जुड़े मामलों में आरोपी बनाया गया था, उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया है। जेल विभाग के मुताबिक अब तक 300 से अधिक मिलिटेंट्स जेल से बाहर आ चुके हैं, जिनमें कई को उम्रकैद की सजा भी सुनाई गई थी। सूत्रों का कहना है कि इन जिहादी समूहों के सदस्य ढाका विभिन्न जिलों से आए थे और उन्होंने जुमे की नमाज के बाद मस्जिद के बाहर “जिहाद चाहिए, जिहाद से जीना है”, “नारा-ए-तकबीर, अल्लाहु अकबर”, “कौन हैं हम? मिलिटेंट, मिलिटेंट”, और “इस्लामी बांग्लादेश में काफिरों के लिए कोई जगह नहीं” जैसे नारे लगाए।
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चिन्हित आतंकी संगठनों से जुड़े आतंकियों की भी रिहाई
पिछले 11 महीनों में सिर्फ जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) से जुड़े 148 आरोपी जमानत पर रिहा किए गए हैं। इनमें कई नाम पूर्व सरकार द्वारा चिन्हित आतंकी संगठनों जैसे हर्कत-उल-जिहाद, अंसारुल्लाह बांग्ला टीम, हिज्ब उत-तहरीर, हमजा ब्रिगेड से जुड़े रहे हैं। अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के प्रमुख माने जाने वाले मुफ्ती जसीमुद्दीन रहमानी को भी सत्ता परिवर्तन के बाद जमानत मिल चुकी है। बताया गया है कि वे मिलिट्री सपोर्ट के साथ सार्वजनिक रूप से इस्लामी नारे लगाते देखे गए।
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