कतर की राजधानी दोहा में हाल ही में हुए हवाई हमलों को लेकर कई मित्र देशों ने इजरायल की आलोचना की है। लेकिन इजरायल इस पर पीछे हटने को तैयार नहीं है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में इजरायल के स्थायी प्रतिनिधि डैनी डैनन ने शुक्रवार को पश्चिमी सहयोगी देशों, खासकर फ्रांस और ब्रिटेन, की कड़ी आलोचना की। डैनन ने दोहा में हमास के वरिष्ठ नेताओं पर किए गए हवाई हमलों को उचित ठहराया और कहा कि ये वही देश हैं जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ विदेशी धरती पर सैन्य कार्रवाइयां की हैं, लेकिन जब इजरायल ने कदम उठाया, तो उसी पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

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जब गाजा में युद्धविराम के अमेरिकी प्रस्ताव पर विचार करने के लिए हमास नेता दोहा में एकत्र हुए थे, उसी दौरान इजरायल ने हमला किया। इस हमले में कम से कम छह लोग मारे गए। इजरायल के स्थायी प्रतिनिधि डैनी डैनन ने इस कदम को उचित ठहराने के लिए अमेरिका के उस ऑपरेशन का हवाला दिया, जिसमें ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में मार गिराया गया था। इसके अलावा, डैनन ने फ्रांस और ब्रिटेन को भी कड़ी लताड़ लगाई, जो दोहा में इजरायली हवाई हमलों की निंदा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ये देश आतंकवाद के खिलाफ विदेशी धरती पर कार्रवाइयां करते रहे, लेकिन इजरायल के कदमों पर सवाल उठा रहे हैं।

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक में इजरायल के स्थायी प्रतिनिधि डैनी डैनन ने गाजा में हमास के वरिष्ठ नेताओं पर किए गए हमले का समर्थन किया। डैनन ने कहा: “जब पाकिस्तान में बिन लादेन को खत्म किया गया, तब किसी ने भी सवाल नहीं किया कि विदेशी धरती पर आतंकवादी को क्यों निशाना बनाया गया। आज भी ऐसा ही होना चाहिए। जब बिन लादेन के लिए कोई छूट नहीं थी तो हमास के लिए भी कोई छूट नहीं हो सकती।” उन्होंने जोर देकर कहा कि इजरायल का ऑपरेशन आत्मरक्षा में किया गया और इसका उद्देश्य केवल हमास के आतंकियों को निशाना बनाना था, न कि कतर को।

इजरायल के स्थायी प्रतिनिधि डैनी डैनन ने फ्रांस और ब्रिटेन को सीधे निशाने पर लिया। डैनन ने कहा: “फ्रांस ने माली, चाड, बुर्किना फासो और मॉरिटानिया में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की और उन्होंने विदेशी धरती पर बमबारी की। ब्रिटेन ने इराक और सीरिया में आईएस के खिलाफ हवाई हमले किए। क्या तब दुनिया ने उनकी निंदा की? नहीं। लेकिन जब इजरायल आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाता है, तो ये सहयोगी देश यूएन में हमें सबक सिखाने लगते हैं।” उन्होंने इन देशों पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि पश्चिमी दुनिया को हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करने और बंधकों की रिहाई की मांग करनी चाहिए।

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक में पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने इजरायली हवाई हमले की निंदा करते हुए इसे “देश प्रायोजित आतंकवाद” और कतर की संप्रभुता का उल्लंघन बताया। इसके जवाब में इजरायल के स्थायी प्रतिनिधि डैनी डैनन ने ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में मारे जाने का हवाला देते हुए कहा कि इजरायल का ऑपरेशन आत्मरक्षा के तहत था। डैनन के इस बयान से बैठक में तनाव बढ़ गया।

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क्या बोले फ्रांस और ब्रिटेन?

संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस और ब्रिटेन ने कतर में इजरायल के हवाई हमलों की कड़ी निंदा की। फ्रांस के राजदूत जेरोम बोनाफोंट ने इसे अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताते हुए कहा: “दो देश ढांचे पर आधारित एक राजनीतिक समाधान जरूरी है।” उन्होंने बेहतर शासन के साथ संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने पर भी जोर दिया। ब्रिटेन की राजदूत डेम बारबरा वुडवर्ड ने कहा: “हम कतर पर हमले की पूरी तरह निंदा करते हैं, जिससे मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने या इजरायल की दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में कोई मदद नहीं मिलेगी।”

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