चंकी बाजपेयी, इंदौर। ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में रविवार को कैबिनेट मंत्री प्रह्लाद पटेल की पुस्तक ‘नर्मदा परिक्रमा’ का विमोचन हुआ। इस अवसर पर मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में केवल आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और स्वामी ईश्वरानंद मौजूद रहे। मोहन भागवत ने अपने संबोधन के दौरान बाज और कबूतर की कहानी बताई। साथ ही कहा कि दुनिया लॉजिक से नहीं धर्म से चलती है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, ‘ज्ञान और कर्म दोनों जरूरी हैं। सिर्फ ज्ञानी होकर निष्क्रिय रहना गड़बड़ी करता है।” उन्होंने यह भी कहा कि जीवन एक नाटक की तरह है जहां हर व्यक्ति को अपनी भूमिका निभानी होती है, लेकिन अंत में असली पहचान आत्मा की होती है।
विमोचन के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में झगड़े इसलिए होते हैं क्योंकि लोग “मैं और मेरा” की भावना में बंधे रहते हैं। धर्म का असली अर्थ है- बिना किसी को दुख दिए जीवन जीना। उन्होंने कहा कि “धर्म कभी किसी को दुख नहीं देता, दुनिया लॉजिक से नहीं धर्म से चलती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि हम कभी नहीं बंटे, कुछ बंटे थे तो उन्हें भी मिला लेंगे। गला काटने का काम, जेब काटने का काम पहले दर्जी करते थे, अब पूरी दुनिया कर रही है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, बीजेपी संगठन प्रभारी महेंद्र सिंह, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, तुलसी सिलावट सहित कई मंत्री और विधायक मौजूद रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रह्लाद पटेल ने कहा कि 30 साल पहले उन्होंने गुरुदेव की सेवा करते हुए नर्मदा परिक्रमा की थी। उस समय राजनीति का कोई विचार नहीं था। मां नर्मदा और गुरुदेव की कृपा से ही यह यात्रा संभव हुई और उसी अनुभव को उन्होंने पुस्तक का रूप दिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और नदियों की रक्षा के लिए हर व्यक्ति को संकल्प लेना चाहिए। असली सुख बाहर नहीं बल्कि भीतर की खोज से मिलता है। भारतीय संस्कृति की यही विशेषता विविधता में एकता है।
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