मनोज यादव, कोरबा। एसईसीएल और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से सुनियोजित आर्थिक आपराधिक षड्यंत्र रचने वाले खुशाल जायसवाल और राजेश जायसवाल के विरुद्ध आखिरकार सीबीआई और एसीबी ने अपराध दर्ज कर लिया है। इसके साथ ही SECL के कई जिम्मेदार अधिकारी और अन्य संबंधित व्यक्ति भी इस मामले में आरोपी बनाए गए हैं। इनके साथ ही एसईसीएल के जिम्मेदार अधिकारियों और अन्य पर भी समान धाराओं में अपराध पंजीबद्ध हुआ है।


बताया जा रहा है कि यह मुआवजा घोटाला 3.44 करोड़ रुपये से अधिक का है। बीते दिनों सीबीआई की एक टीम ग्राम मलगांव और रलिया पहुंचकर आवश्यक जांच-पड़ताल को आगे बढ़ाया है।
जानकारी के अनुसार, कई निजी लोगों के द्वारा SECL के अधिकारियों (पात्र संपत्ति के मालिक/उचित दावेदार का निर्धारण करने के लिए ज़िम्मेदार विभिन्न समितियों के अधिकारी) के साथ आपराधिक साज़िश कर सरकारी खजाने से 9 करोड़ से ज्यादा की धोखाधड़ी की शिकायतों के विवेकपूर्ण वेरिफ़िकेशन से ACB और CBI को पता चला है कि खुशाल जायसवाल ने सरकारी ज़मीन पर बने घरों के लिए एक करोड़ साठ लाख रुपये से ज़्यादा का मुआवज़ा लिया और पाया है।
जांच में यह बात सामने आई है कि घोटाले में शामिल लोगों ने मलगांव, अमगांव (अमगांव में अलग-अलग फेज) जैसे गांवों में मौजूद सरकारी जमीन या दूसरों की जमीन पर बने घरों के लिए 7 से अधिक बार अपने या अपने परिवार के करीबी सदस्यों के नाम पर एक करोड़ 83 लाख से ज़्यादा का मुआवजा क्लेम किया है और पाया है।
बाद में निर्माण, बिना पात्रता सत्यापन बना मुआवजा
इसके अलावा SECL द्वारा किसी भी तरह के मुआवज़े के लिए किसी भी दावे की पात्रता के लिए पहली ज़रूरत यह थी कि घर, कुएं, पेड़ वगैरह जैसी बताई गई संपत्तियां CBA (A&D) एक्ट, 1957 के सेक्शन 9/LA एक्ट, 1894 के सेक्शन 11 के तहत या दोनों के नोटिफिकेशन के पब्लिकेशन से पहले बनी होनी चाहिए, जिस तारीख को ज़मीन राज्य/केंद्र सरकार के पास आई थी, जो 2004, 2009 और 2010 है।
खुशाल जायसवाल, राजेश जायसवाल, एसईसीएल के अज्ञात लोक सेवकों एवं अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी आर/डब्ल्यू 420 और पीसी अधिनियम 1988 (जैसा कि 2018 में संशोधित किया गया है) की धारा 13 (1) (ए) आर/डब्ल्यू 13 (2) एवं उसके मूल अपराधों के तहत नियमित मामला दर्ज कर लिया गया है।
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