India-Bangladesh Relations: कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों की संसदीय समिति ने बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति को भारत के लिए 1971 के बाद की सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती बताया है। समिति ने कहा है कि हालात अराजकता में तो नहीं जाएंगे, लेकिन भारत को इसे बेहद सावधानी से संभालने की जरूरत है। समिति ने सरकार को कई अहम सिफारिशें भी सौंपी हैं। साथ ही सुझाव दिया है कि बांग्लादेश के विकास में सहयोग से ही इसे हल कर सकते हैं। विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने अपनी नौवीं रिपोर्ट लोकसभा में पेश की है।
समिति की इस रिपोर्ट में कुल 33 अहम टिप्पणियां और सिफारिशें की गई हैं जिनमें लोकतंत्र, सुरक्षा, अल्पसंख्यक संरक्षण, सीमा प्रबंधन, व्यापार, कनेक्टिविटी और सांस्कृतिक रिश्तों जैसे मुद्दे विस्तार से शामिल हैं। समिति ने भारत–बांग्लादेश के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा कि 1971 की भावना, भूमि सीमा समझौते और समुद्री सीमा निपटान जैसे समझौते रिश्तों की मजबूत नींव हैं। रिपोर्ट में बांग्लादेश की आंतरिक राजनीतिक चुनौतियों को स्वीकार करते हुए भारत से रचनात्मक, व्यावहारिक और लोकतंत्र समर्थक दृष्टिकोण बनाए रखने की सिफारिश की गई है।
बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता
अगस्त 2024 के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता, चुनावों को लेकर अनिश्चितता और राजनीतिक हिंसा पर समिति ने चिंता जताई। साथ ही, भारत की शांत कूटनीति और गैर-हस्तक्षेप नीति की सराहना करते हुए सरकार से स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनावों के लिए लगातार प्रोत्साहन देने को कहा गया है। रिपोर्ट में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों, धार्मिक स्थलों को नुकसान और हिंसा की घटनाओं को गंभीर बताया गया है। समिति ने विदेश मंत्रालय से इसे कूटनीतिक प्राथमिकता बनाए रखने और बांग्लादेश सरकार पर त्वरित व प्रभावी कार्रवाई के लिए दबाव बनाने की सिफारिश की है।
पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना का ठहराव
पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत में ठहराव को समिति ने भारत की मानवीय और सभ्यतागत परंपरा से जोड़ा। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि भारतीय धरती से किसी भी राजनीतिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी गई है और प्रत्यर्पण से जुड़े घटनाक्रम पर समिति को अवगत कराने को कहा गया है। बांग्लादेशी मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भारत-विरोधी दुष्प्रचार को चुनौती बताते हुए समिति ने विदेश मंत्रालय के भीतर स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशन यूनिट बनाने की सिफारिश की है, ताकि गलत सूचनाओं का प्रभावी जवाब दिया जा सके।
बांग्लादेश में चीन की बढ़ती भूमिका
बांग्लादेश में चीन की बढ़ती भूमिका बंदरगाह, एयरबेस और रक्षा सहयोग पर समिति ने चिंता जताई गई है। खासकर सिलीगुड़ी कॉरिडोर और बंगाल की खाड़ी से जुड़े सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए भारत से सतर्क निगरानी और विकास सहयोग के जरिए अपनी स्थिति मजबूत करने को कहा गया है। भारत–बांग्लादेश सीमा पर शेष बाड़बंदी, स्मार्ट सर्विलांस और तकनीकी समाधानों पर जोर देते हुए समिति ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ा। साथ ही, पूर्वोत्तर भारत में आतंकवाद और घुसपैठ रोकने के लिए खुफिया साझेदारी मजबूत करने की सिफारिश की गई है । पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम जैसे सीमावर्ती राज्यों को नीति निर्माण में शामिल करने पर बल देते हुए समिति ने केंद्र–राज्य समन्वय तंत्र को और सक्रिय बनाने की बात कही है।
CEPA समझौते से जुड़ा मामला
बांग्लादेश के 2026 में LDC से बाहर होने के मद्देनज़र CEPA समझौते को शीघ्र अंतिम रूप देने, कनेक्टिविटी परियोजनाओं में तेजी लाने और 1996 की गंगा जल संधि के नवीनीकरण पर समय रहते बातचीत शुरू करने की सिफारिश की गई है।
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