सुप्रिया पांडेय, रायपुर। रायगढ़ जिले के तमनार में कोयला खदान खोले जाने का मुद्दा ऐसा गरमाया कि आंदोलनरत ग्रामीणों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो गई. देखते ही देखते मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया, और अब सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस आमने-सामने हैं. एक तरफ छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रमुख दीपक बैज घटना के लिए जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहा है, तो दूसरी ओर डिप्टी सीएम अरुण साव घटना की जांच की बात कह रहे हैं. इन सबके बीच भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह ने विकास के लिए रेवेन्यू का सवाल उठाया है.

यह भी पढ़ें : Raipur Police Meeting : नए साल में होने वाले आयोजनों को लेकर IG और SSP ने ली बैठक, पेडिंग अपराध वाले थाना प्रभारियों को लगाई फटकार

तमनार के दौरे से लौटे छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रमुख दीपक बैज ने पूर्व मंत्री शिव डहरिया, कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस ली. उन्होंने कहा कि तमनार की घटना भाजपा की गांव, गरीब, किसान, आदिवासी विरोधी नीति का परिणाम है. मैंने तमनार का दौरा किया. जांच दल का गठन किया गया है.

उन्होंने कहा कि 27 दिसंबर की घटना के लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो वह जिला प्रशासन है. आंदोलनकारियों को साजिश के तहत कुचलने की रणनीति बनाई गई. ग्रामीणों को मजबूर किया गया, उकसाया गया. वहां कलेक्टर-एसपी कैंप करके बैठे हैं, लेकिन धरने पर बैठे गांव वालों से बात तक नहीं की. घटना की जिम्मेदार जिला प्रशासन, कलेक्टर और एसपी है.

बैज ने बताया कि रायगढ़ के तमनार में कोल माइंस अलॉट किया, जिसकी सुनवाई 8 दिसंबर को रखी गई थी. वहां के किसान, आदिवासी जनसुनवाई स्थगित करने की बात कहते हुए 5 दिसंबर से धरने पर बैठे रहे, 8 को जनसुनवाई हुई. 14 गांव के करीब 10 हजार से अधिक लोगों ने जनसुनवाई को मानव श्रृंखला बनाकर घेर रखा था. जिला प्रशासन ने चुपके से कोने में टेबल लगाकर जनसुनवाई की, जो स्थल से काफी दूर था.

दीपक बैज ने कहा कि जिंदल पावर कंपनी को कोल माइंस अलॉट हुआ है. जिंदल के कर्मचारियों से जनसुनवाई में फर्जी हस्ताक्षर कराए गए. ग्रामीणों ने कहा कि यह गलत तरीके से हुआ. इसके विरोध में एक चौक पर बैठकर ग्रामीणों ने धरना दिया. हमने ग्रामीणों से समस्याएं सुनी, उनकी मांग का समर्थन भी किया है.

प्रदेश कांग्रेस प्रमुख ने सवाल उठाया कि आखिर चोरी छिपे जनसुनवाई क्यों की जा रही है. ये जनसुनवाई गलत है. इसको निरस्त किया जाना चाहिए. ग्रामीणों को डराकर जनसुनवाई की जा रही है, अगर ग्रामीणों का धरना चल रहा तो जिला प्रशासन बात करें, लेकिन न तो कलेक्टर गया, न एसपी या जिला प्रशासन का कोई अधिकारी ग्रामीणों से बात कहने गया.

बैज ने आरोप लगाया कि 27 दिसंबर को पुलिस बल लगाया गया था, जिसमें जिंदल की कोयले से भरी गाड़िया रवाना की जा रही थी. गाड़ियों की संख्या काफी ज्यादा थी, जिससे ग्रामीण आक्रोशित हुए. 40 लोगों की गिरफ्तारियां हुई, महिलाओं को घसीटा गया, आंसू गैस छोड़े गए, लोगों को प्रताड़ित किया गया. भीड़ उग्र हो गई, जिसके बाद घटना घटी.

कोल कंपनी के कर्मचारियों ने कराए फर्जी हस्ताक्षर

पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने कहा जनसुनवाई का विरोध सभी 14 गांव के ग्रामीणों ने किया था, कोल कंपनी के कर्मचारियों से फर्जी हस्ताक्षर कराए गए और जनसुनवाई की गई. जानबूझकर ग्रामीणों को उकसाया गया, हम मांग करते हैं कि घटना की न्यायिक जांच हो.

पूरे मामले की होगी जांच – डिप्टी सीएम अरुण साव

तमनार घटना को लेकर उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि पूरे मामले जांच करवाई जाएगी. जो भी दोषी होगा कार्रवाई होगी. भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह ने कहा कि पर्यावरण को संरक्षित किया जाए, ग्रामीणों का जीवन स्तर भी बढ़े और प्रदेश का विकास भी हो, यह सब जरूरी है, एकतरफा नहीं सोचना नहीं चाहिए. सरकार के पास रेवेन्यू नहीं आएगा तो विकास कैसे होगा? पूरे परिपेक्ष्य में इसे देखना चाहिए.