नई दिल्ली . दिल्ली सरकार ने कैदियों की अस्वाभाविक मौत होने पर उनके कानूनी वारिस को मुआवजा देने की घोषणा की है. दिल्ली सरकार के गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि जेल में कैदियों की मौत पर परिजनों या कानूनी उत्तराधिकारियों को 7.5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. LG को मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेज दिया है.
दिल्ली सरकार के मुताबिक, जेल में बंद कैदी की अगर अप्राकृतिक हिरासत, कैदियों के बीच झगड़े, जेल कर्मचारियों द्वारा पिटाई, यातना, जेल अधिकारियों द्वारा बरती गई लापरवाही या चिकित्सा या पैरामेडिकल कर्मचारियों द्वारा भी लापरवाही बरतने पर मौत होने पर यह मुआवजा परिजनों को दिया जाएगा. हालांकि, अगर कैदी ने जेल में आत्महत्या कर ली है, प्राकृतिक मौत होती है, आपदा या फिर जेल से भागने के कारण मौत होती है तो उस पर यह मुआवजा देने की योजना लागू नहीं होगी. गहलोत ने कहा कि यह पहल जेल प्रणाली में न्याय और जवाबदेही सुनिश्चित करने के की गई है.
दोषी जेल अधिकारियों से वसूली जाएगी रकम किसी कैदी की मौत जेल अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुई है तो समिति उसकी जांच करेगी और यदि हिरासत में मौत में किसी जेल कर्मचारी की सीधी संलिप्तता पाई जाती है तो समिति दोषी अधिकारी के वेतन से मुआवजा राशि की वसूली का आदेश कर सकती है. इस पर अंतिम फैसला वह समिति ही करेगी. बताते चलें कि बीते सप्ताह की गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने तिहाड़ जेल का दौरा भी किया था. कैदियों की सुविधाओं में इजाफा के साथ उनके सुधार की दिशा में कदम उठाने का भी निर्देश दिया था.
महानिदेशक की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी
योजना के मुताबिक, कैदियों की मौत के बाद मुआवजा जारी करने से पहले संबंधित जेल अधीक्षक को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मृत्यु का कारण, जेल में प्रवेश के समय चिकित्सा संबंधी परेशानी समेत अन्य जानकारी शामिल होंगी. हिरासत में मौत के मामले में यह रिपोर्ट सूचना हेतु राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को प्रस्तुत करने के लिए जेल महानिदेशक को भेजी जाएगी. महानिदेशक की अध्यक्षता में एक समिति बनेगी, जो दिल्ली जेल रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे और नियमों के अनुसार मुआवजा जारी करने पर निर्णय लेंगे.
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